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सोने की दीवानी दुनिया: भारत और चीन क्यों बढ़ा रहे हैं गोल्ड रिजर्व ?

दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी में जुटे हुए हैं। भारत से लेकर चीन तक के बैंक अपने गोल्ड रिजर्व (India and China buying gold) को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि देश सोने पर इतना भरोसा कर रहे हैं? आइए समझते हैं पूरा मामला।

भारत ने 1 साल में 57.58 टन सोना खरीदा

  • RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2025 तक भारत का गोल्ड रिजर्व 879.58 टन हो गया है।
  • पिछले साल की तुलना में 57.58 टन की बढ़ोतरी हुई है।
  • सोने की कुल वैल्यू में 57% का उछाल आया है।

चीन भी पीछे नहीं, लगातार 4 महीने से खरीदारी

  • चीन की सेंट्रल बैंक PBoC ने फरवरी में 5 टन सोना खरीदा।
  • 2025 के पहले दो महीनों में ही चीन ने 10 टन सोने का भंडार जोड़ा।
  • अब चीन के पास 2,290 टन से ज्यादा सोना है, जो उसके विदेशी मुद्रा भंडार का 6% है।

दुनिया के टॉप देशों के पास कितना सोना (Gold) ?

देशगोल्ड रिजर्व (टन में)विदेशी भंडार में हिस्सेदारी
अमेरिका8,133.575%
जर्मनी3,50070%
इटली2,45265%
फ्रांस2,43660%
चीन2,2906%
भारत879.588%

(स्रोत: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल, RBI रिपोर्ट 2025)

आखिर क्यों बैंक खरीद रहे हैं इतना सोना (India and China buying gold)?

1. आर्थिक अनिश्चितता से सुरक्षा

  • यूक्रेन-रूस युद्ध, मध्य पूर्व तनाव और वैश्विक मंदी के डर से देश सुरक्षित निवेश की तरफ बढ़ रहे हैं।
  • सोना मुद्रास्फीति और आर्थिक उथल-पुथल के दौर में स्थिर रिटर्न देता है।

2. डॉलर पर निर्भरता कम करना

  • अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सोना एक स्वतंत्र एसेट है।
  • चीन और रूस जैसे देश डॉलर से दूरी बनाने के लिए सोना जमा कर रहे हैं।

3. भरोसेमंद लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट

  • शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी में उतार-चढ़ाव के बीच सोना सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
  • इतिहास गवाह है कि आर्थिक संकट के दौर में सोने की कीमतें बढ़ती हैं।

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निष्कर्ष: “क्या सोना बन रहा है नई वैश्विक मुद्रा?”

भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं हों या अमेरिका-जर्मनी जैसे विकसित देश, सभी सोने को अपनी आर्थिक सुरक्षा का आधार बना रहे हैं। जैसे-जैसे वैश्विक तनाव बढ़ रहा है, गोल्ड रिजर्व की अहमियत भी बढ़ती जा रही है।

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