अयोध्या में धर्मध्वजा फहराने पर बागेश्वर धाम की प्रतिक्रिया—शिवपुरी कथा में क्यों गूंजे तेज़ बयान?
Dhirendra Shastri Ayodhya Reaction: अयोध्या में धर्मध्वजा फहराने पर शिवपुरी कथा में गूंजे धीरेंद्र शास्त्री के तेज़ बयान
Dhirendra Shastri Ayodhya Reaction: शिवपुरी। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धर्म ध्वजा फहराने के ऐतिहासिक क्षण का प्रभाव शिवपुरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के मंच पर भी नजर आया।
कथा के दूसरे दिन बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के संबोधन में हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और राम मंदिर की पूर्णता के भाव प्रमुख रूप से दिखाई दिए।
धीरेंद्र शास्त्री ने अयोध्या के क्षण को बताया ऐतिहासिक
अपने उद्बोधन की शुरुआत करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने अयोध्या में धर्मध्वजा फहराने को “युगांतकारी पल” बताया। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े भावनात्मक और धार्मिक पहलुओं को भी रेखांकित किया।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि—
“अयोध्या में आज का दृश्य इतिहास में दर्ज किया जाएगा। जहां कभी और योजनाएं बनती थीं, आज वहां भगवा लहरा रहा है।”
उनके कुछ उद्धरण, जो कथा स्थल पर काफी चर्चा में रहे, समाचार रूप में इस प्रकार हैं—
“मुगलों की छाती पर भगवा लहराया है… कब्र से उठकर देख ले बाबर, मंदिर वहीं बनाया है।”
(यह कथन उनके भाषण का उद्धृत हिस्सा है, जिसे यहाँ केवल रिपोर्टिंग उद्देश्य से प्रस्तुत किया जा रहा है।)
मथुरा जन्मभूमि पर भी दिया स्पष्ट संदेश
मथुरा विवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा—
“कृष्ण लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। जिन्हें दिक्कत हो, वे हट जाएं।”
कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालुओं से शास्त्री ने भावनात्मक जुड़ाव के साथ मथुरा को धार्मिक आस्था का केंद्र बताया।
तात्या टोपे के बलिदान को किया नमन
धीरेंद्र शास्त्री ने शिवपुरी की ऐतिहासिक धरा को प्रणाम करते हुए कहा कि यह भूमि महान क्रांतिकारी तात्या टोपे के बलिदान की साक्षी है।
उन्होंने कहा—
“तात्या टोपे ने अंग्रेजों से लड़ते हुए इस पावन भूमि पर प्राण न्यौछावर कर दिए। कुछ जयचंदों ने उनके संघर्ष को कठिन बनाया, पर वे अडिग रहे।”
उन्होंने इसे स्वतंत्रता संग्राम का गौरवपूर्ण अध्याय बताया।
सनातन के विरोधियों पर साधा निशाना
अपने संबोधन में शास्त्री ने आधुनिक समय में सनातन धर्म का विरोध करने वालों पर भी टिप्पणी की और कहा कि समाज को एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाना चाहिए।



