
DMRC EARN की कमाई का फॉर्मूला : सिर्फ किराया नहीं, कमाई के हैं कई मजबूत स्तंभ
DMRC EARN: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने 25 अगस्त 2025 से मेट्रो किराए में बढ़ोतरी की है। अब न्यूनतम किराया 11 रुपये हो गया है, जो पहले 10 रुपये था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि DMRC की कमाई सिर्फ टिकट बेचने तक सीमित नहीं है?
असल में, DMRC ने साल 2024 में कुल 7,661 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि साल 2022-23 में यह आंकड़ा 6,645 करोड़ था। सवाल ये उठता है कि इतना पैसा आता कहां से है?
DMRC की कमाई के तीन मुख्य स्रोत
1. ट्रैफिक ऑपरेशन (Ticket Revenue & Penalties)
DMRC की सबसे बड़ी कमाई ट्रैफिक ऑपरेशन से होती है, जिसमें शामिल हैं:
- मेट्रो टिकट
- स्मार्ट कार्ड और ट्रैवल पास
- पार्किंग चार्ज
- पेनाल्टी और फाइन
2. रियल एस्टेट और किराया
DMRC ने कई मेट्रो स्टेशनों पर दुकानों, रेस्टोरेंट और कॉमर्शियल स्पेस को किराए पर दे रखा है। इनसे हर महीने बड़ी कमाई होती है।
3. कंसल्टेंसी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट
DMRC न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए कंसल्टेंसी देता है। कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट्स:
- मुंबई, नागपुर, जयपुर, कोच्चि मेट्रो
- ढाका मेट्रो (बांग्लादेश)
- अबू धाबी मेट्रो
- यमुना एक्सप्रेसवे मेट्रो प्रोजेक्ट (YEIDA)
- सोलर एनर्जी और कार्बन क्रेडिट्स से भी कमाई
DMRC ने अब तक कब-कब बढ़ाया किराया?
- 2002: पहली बार किराया ₹4 से शुरू हुआ
- 2005 और 2009: हल्की बढ़ोतरी
- 2017: 8 साल बाद बड़ा बदलाव, नया स्लैब लागू
- 2025: फिर 8 साल बाद, 1-5 रुपये तक की बढ़ोतरी
पहली मेट्रो का सफर: कहां से कहां चला और कितना था किराया?
दिल्ली मेट्रो की शुरुआत 24 दिसंबर 2002 को हुई थी। पहली मेट्रो शाहदरा से तीसहजारी के बीच 8.4 किमी चली थी।
- उद्घाटन: अटल बिहारी वाजपेयी ने किया
- शुरुआती न्यूनतम किराया: ₹4
- अब (2025): न्यूनतम किराया ₹11
DMRC सिर्फ सफर नहीं, एक कमाई की मशीन है
DMRC एक ऐसा मॉडल बन चुका है जिसे दुनियाभर में अपनाया जा रहा है। किराए से लेकर कंसल्टेंसी, रियल एस्टेट और सोलर एनर्जी—दिल्ली मेट्रो सिर्फ ट्रैफिक ऑपरेशन नहीं बल्कि एक मल्टी-सोर्स रेवेन्यू सिस्टम चला रही है।