15 साल से इंतज़ार में प्रबोधक! क्या मिलेगी अब अध्यापक कैडर में जगह?

जयपुर, 11 जून 2025 — राजस्थान के शिक्षा विभाग में कार्यरत करीब 25,000 प्रबोधकों का भविष्य एक बार फिर सवालों के घेरे में है। 15 वर्षों से स्थाई नियुक्ति के बावजूद न पदोन्नति, न वेतनमान और न ही अध्यापक कैडर में स्थान—प्रबोधक आज भी संघर्ष की राह पर हैं। (Prabodhaka Teacher Cadre Adjustment)
प्रबोधक संघर्ष समिति और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (Prabodhaka Teacher Cadre Adjustment) ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट कहा है कि यदि प्रबोधकों को अध्यापक कैडर में समायोजित नहीं किया गया, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
📌 क्या है Prabodhaka Teacher Cadre Adjustment मुख्य मांगें?
- प्रबोधक कैडर को अध्यापक कैडर में शामिल किया जाए
- विषयवार पदोन्नति और समान वेतनमान दिया जाए
- वरिष्ठ प्रबोधकों को भी उचित वेतनमान और पदस्थापन मिले
🔍 क्यों उठी यह मांग?
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि वर्ष 2008 में नियुक्त प्रबोधकों को अब तक न तो स्थानांतरण की सुविधा मिली है और न ही पदोन्नति का लाभ। दूसरी ओर, उसी वर्ष नियुक्त जूनियर अध्यापक आज व्याख्याता, उप-प्राचार्य और प्राचार्य के पदों पर पहुँच चुके हैं।
राजस्थान शिक्षा अधिनियम 1971 में “प्रबोधक” का कोई उल्लेख नहीं होने के कारण यह वर्ग लगातार उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
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⚠️ क्या होगा आगे?
संघर्ष समिति के संयोजक सुभाष चौधरी ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया, तो 25,000 प्रबोधक सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
📢 “हम समान कार्य के लिए समान अधिकार चाहते हैं। अगर सरकार हमारी सुनवाई नहीं करती, तो हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।” – सुभाष चौधरी
📣 निष्कर्ष:
प्रबोधक वर्ग की यह आवाज अब केवल विभागीय नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। देखना होगा कि सरकार कब तक चुप्पी साधे रहती है और क्या वास्तव में 25,000 प्रबोधकों को उनका हक मिलेगा?