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भारतीय नौसेना में शामिल हुआ पहला स्वदेशी एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शिप ‘आईएनएस अर्णाला’

भारत की नौसेना ने एक और बड़ी छलांग लगाते हुए देश के पहले स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC)INS अर्णाला’ (INS Arnala) को विशाखापत्तनम डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में नौसेना में शामिल किया। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने अध्यक्षता की।

⚓ INS Arnala स्वदेशी तकनीक से बना आधुनिक युद्धपोत

INS अर्णाला, (INS Arnala) गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा निर्मित है और यह ASW-SWC श्रृंखला में पहला पोत है। इस श्रेणी के कुल 16 युद्धपोत बनने हैं, जो भारत की तटीय रक्षा क्षमताओं को नई मजबूती देंगे।

इस युद्धपोत का नाम महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले से प्रेरित है। यह 77 मीटर लंबा है और 1490 टन से अधिक वजन का है। यह डीजल इंजन और वॉटरजेट संयोजन से संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है।

🛰️ क्या-क्या कर सकता है INS Arnala?

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, INS अर्णाला को निगरानी, खोज और बचाव (SAR) अभियान, और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। यह पनडुब्बियों की मौजूदगी का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम है।

इस युद्धपोत का आदर्श वाक्य है – “अर्णवे शौर्यम” यानी “महासागर में वीरता”, जो इसके दल की निडरता और देशभक्ति का प्रतीक है।

🌊 रणनीतिक दृष्टिकोण से क्यों है अहम?

भारत की विशाल तटीय सीमा को देखते हुए, पनडुब्बी जैसे खतरों से निपटने के लिए ASW-SWC जैसे पोत अत्यंत आवश्यक हैं। INS अर्णाला की तैनाती से भारतीय नौसेना की शैलो वाटर ऑपरेशंस क्षमता में बड़ा इजाफा होगा।

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✅ निष्कर्ष:

INS अर्णाला का नौसेना में शामिल होना भारत की मेक इन इंडिया पहल और समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल सुरक्षा बलों की ताकत बढ़ाता है, बल्कि भारत को समुद्री क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त भी देता है।

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