2256 स्कूल जर्जर, बच्चों की जान जोखिम में! अब कहां पढ़ेंगे मासूम?

📚 पहले जान, फिर ज्ञान: 2256 जर्जर स्कूल और एक बड़ा सवाल
जयपुर/झालावाड़: राजस्थान के झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे (Jhalawar School Accident) ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। पिपलोदी गांव में एक स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई और 25 से ज्यादा घायल हो गए। हादसे के कुछ घंटे बाद सरकार ने 2256 स्कूल भवनों को “जर्जर” (Dilapidated School Rajasthan) घोषित कर दिया है।
📋 Jhalawar School Accident क्या है पूरा मामला?
- हादसे (Jhalawar School Accident) के बाद राज्य सरकार ने सर्वेक्षण शुरू किया।
- शुरुआती आंकड़ों में 2256 स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर पाई गईं।
- शिक्षा मंत्री खुद स्वीकार चुके हैं कि हजारों स्कूल खतरे में हैं।
- सर्वे अभी जारी है, ये संख्या और भी बढ़ सकती है।
🧒 अब बच्चों की पढ़ाई कहां होगी?
राज्य सरकार ने जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों को बैठाने पर रोक लगा दी है। इससे सबसे बड़ा सवाल खड़ा हुआ है—अब इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का क्या होगा?
🎙️ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का बयान (Madan Rathore Statement) :
“पहले जान, फिर ज्ञान। बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है। जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा होगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार धर्मशाला, सामुदायिक भवन या पास के अन्य स्कूलों में अस्थाई तौर पर व्यवस्था पर विचार कर रही है।
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🔍 राजनीति बनाम जिम्मेदारी: कौन है जिम्मेदार?
- विपक्ष सरकार को लापरवाही का दोषी ठहरा रहा है।
- लेकिन कांग्रेस भी सत्ता में रह चुकी है, ऐसे में पूरा दोष किसी एक पर नहीं डाला जा सकता।
- कोई इमारत एक-दो साल में जर्जर नहीं होती, यह वर्षों की अनदेखी का परिणाम है।
🚨 सबक या खानापूरी?
अब सवाल ये है कि क्या सरकार इस हादसे से सबक लेगी या सिर्फ कागज़ी कार्रवाई होगी?
- क्या जर्जर स्कूलों की मरम्मत या पुनर्निर्माण पर काम होगा?
- या फिर अगला हादसा होने तक इंतज़ार किया जाएगा?