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क्या जस्टिस सुदर्शन रेड्डी बनेंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति? विपक्ष ने किया बड़ा ऐलान!

🏛️ उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 (Vice Presidential Election 2025): विपक्ष की ओर से जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी होंगे उम्मीदवार

भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव 2025 (Vice Presidential Election 2025) को लेकर विपक्षी दलों ने बड़ा कदम उठाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने घोषणा की है कि विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है। उनका मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से होगा।

🤝 एक वैचारिक लड़ाई: विपक्ष ने दिखाई एकजुटता

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“यह सिर्फ एक पद की लड़ाई नहीं, बल्कि एक वैचारिक संघर्ष है। जस्टिस रेड्डी संविधान, न्याय और समाज के वंचित तबकों के सच्चे रक्षक रहे हैं। इसलिए सभी विपक्षी दलों ने उन्हें एकमत से अपना उम्मीदवार चुना है।”

उम्मीद की जा रही है कि 21 अगस्त 2025 को जस्टिस रेड्डी नामांकन दाखिल करेंगे।

⚖️ कौन हैं जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी? जानिए पूरा प्रोफाइल

विवरणजानकारी
जन्म8 जुलाई 1946, अकुला मायलाराम, रंगारेड्डी, आंध्र प्रदेश
शिक्षाउस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद – कानून की डिग्री (1971)
करियर की शुरुआतअधिवक्ता के रूप में 1971 से
प्रमुख पद– आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट जज (1995)
– गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (2005)
– सुप्रीम कोर्ट के जज (2007-2011)
विशेष कार्यगरीबों और सामाजिक न्याय के हित में ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस रेड्डी न केवल एक न्यायिक व्यक्तित्व रहे हैं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे एवी एजुकेशन सोसाइटी से भी जुड़े रहे हैं।

🆚 राजग के सीपी राधाकृष्णन से होगा सीधा मुकाबला

सीपी राधाकृष्णन, जो एनडीए के उम्मीदवार हैं, के सामने जस्टिस रेड्डी की उम्मीदवारी को विपक्ष ने एक मजबूत वैकल्पिक विकल्प बताया है। राधाकृष्णन ने विपक्ष के उम्मीदवार के नाम के बाद कहा:

“मैं सभी सांसदों से समर्थन की अपील करता हूं। यह लोकतंत्र की परीक्षा है।”

क्या फिर बदलेगा समीकरण?

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 अब सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय, संविधान और विचारधारा की टक्कर बनता जा रहा है। जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी विपक्ष को एक नई ऊर्जा देती नजर आ रही है।

क्या वे संसद के ऊपरी सदन में देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद तक पहुंच पाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।

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