राजस्थान में बड़ा हेल्थ संकट! प्राइवेट अस्पतालों ने RGHS से किया किनारा, 980 करोड़ की देनदारी पर मचा बवाल

जयपुर। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए लागू की गई सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) पर अब संकट (Rajasthan RGHS Controversy) के बादल मंडरा रहे हैं।
राज्य के निजी अस्पतालों ने योजना के तहत कैशलेस इलाज रोकने का एलान कर दिया है। कारण—सरकार के ऊपर 980 करोड़ रुपये के बकाया बिल।
❌ इलाज बंद करने की चेतावनी
राजस्थान प्राइवेट अस्पतालों की यूनियन RAHA ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार ने 15 जुलाई तक बकाया भुगतान नहीं किया, तो वे RGHS स्कीम के तहत इलाज बंद कर देंगे।
यह फैसला लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है।
📊 क्यों आया ये संकट (Rajasthan RGHS Controversy)?
RGHS योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में हुई थी।
- योजना के तहत हर महीने कर्मचारियों के वेतन से प्रीमियम की कटौती होती है।
- लेकिन पिछले कई महीनों से वित्त विभाग अस्पतालों को भुगतान नहीं कर रहा।
- यूनियन के अनुसार, 701 निजी अस्पतालों का 980 करोड़ से अधिक का बिल अटका हुआ है।
🔍 गड़बड़ियों की जांच भी बनी चिंता
हाल में वित्त विभाग की जांच में सामने आया कि योजना में बिना इलाज के भुगतान, डुप्लीकेट क्लेम्स जैसी गंभीर गड़बड़ियां पाई गई हैं।
इन अनियमितताओं की वजह से भी भुगतान की प्रक्रिया रुक गई है, जिससे अस्पतालों में नाराज़गी और गहरी हो गई है।
🗣️ गहलोत का भाजपा सरकार पर हमला
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान जारी कर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा:
“सरकार की लापरवाही और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण RGHS योजना आज संकट में है। लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।”
गहलोत ने आरोप लगाया कि
- सरकार सात महीने से अस्पतालों को भुगतान नहीं कर रही।
- सरकारी कर्मचारी कटौती के बावजूद इलाज से वंचित हैं।
- भाजपा सरकार सामाजिक सुरक्षा की इस योजना को बर्बाद कर रही है।
🧾 क्या है RAHA की मांग?
RAHA यूनियन ने मांग की है कि—
- 15 जुलाई से पहले सभी बकाया भुगतान किए जाएं।
- भविष्य में समय पर भुगतान की प्रक्रिया तय की जाए।
- योजना को फिर से पारदर्शिता और भरोसे के साथ लागू किया जाए।
RGHS योजना को लेकर जारी यह विवाद अब एक राजनीतिक और जनहित का मुद्दा बन गया है। अगर सरकार समय रहते कदम नहीं उठाती, तो 15 जुलाई के बाद लाखों कर्मचारी और पेंशनर्स इलाज से वंचित हो सकते हैं।