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Sukhbir Singh Badal फिर घोषित हुए तनखैया, तख्त श्री पटना साहिब की बड़ी कार्रवाई

Sukhbir Singh Badal Declared Tankhaiya: पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। तख्त श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब की ओर से उन्हें फिर से ‘तनखैया’ घोषित किया गया है। यह निर्णय पंज प्यारों की विशेष बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह ने की।

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Sukhbir Singh Badal: पंच प्यारों ने सुनाया फैसला

शनिवार को हुई बैठक में पंच प्यारों ने सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal Declared Tankhaiya) को पंथक मर्यादा का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए हुकुमनामा जारी किया। बैठक में जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह के अलावा ज्ञानी दिलीप सिंह, भाई गुरुदयाल सिंह, ज्ञानी परशुराम सिंह और भाई अमरजीत सिंह मौजूद थे।

इससे पहले सुखबीर बादल को अपना पक्ष रखने के लिए शारीरिक रूप से पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन उन्होंने उपस्थित नहीं होकर आदेश की अवहेलना की। इसके बाद उन्हें पहले 24 घंटे, फिर 10 दिन, और अंत में 20 दिन की मोहलत दी गई। इन तमाम अवसरों के बावजूद जब वे पेश नहीं हुए, तो पंच प्यारों ने उन्हें ‘तनखैया’ घोषित कर दिया।

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विवाद की पृष्ठभूमि

यह मामला तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार रणजीत सिंह के बर्खास्तगी से जुड़ा है। श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा रणजीत सिंह के पक्ष में आदेश जारी करने के बाद से विवाद और गहरा गया। इसी कड़ी में सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal Declared Tankhaiya) पर आरोप है कि उन्होंने तख्त की मर्यादा और संविधान के विरुद्ध जाकर राजनीतिक हस्तक्षेप किया और विवाद को हवा दी।

21 मई 2025 को पटना साहिब के पंच प्यारों की आपात बैठक में श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज और तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी टेक सिंह को भी तनखैया करार दिया गया था।

आगे की कार्रवाई

तख्त श्री पटना साहिब द्वारा जारी हुकुमनामा के अनुसार सुखबीर बादल को 10 दिनों के भीतर पंच प्यारों के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। यदि वे इस अवधि में पेश नहीं होते हैं, तो उनके विरुद्ध और सख्त पंथक कार्रवाई की जा सकती है।

अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल पर ‘तनखैया’ घोषित किया जाना न केवल धार्मिक मर्यादाओं से जुड़ा बड़ा मुद्दा है, बल्कि यह सिख राजनीति और पंथक नेतृत्व के बीच बढ़ते मतभेदों की ओर भी संकेत करता है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी सख्त रुख अपनाया जा सकता है, जिससे सुखबीर बादल की सियासी और धार्मिक स्थिति और कमजोर हो सकती है।

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