
🌍 15 जुलाई को शुभांशु शुक्ला की धरती पर होगी वापसी (Shubhanshu Shukla’s return from space) , जानिए पूरी प्रक्रिया
नई दिल्ली: भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो Axiom Space के Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए थे, अब 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे के आसपास धरती पर लौटने (Shubhanshu Shukla’s return from space) वाले हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस ऐतिहासिक मिशन की वापसी की जानकारी साझा की है। इस मिशन में शुक्ला ने कई वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया।
🚀 कैसे होगी वापसी? जानिए हर चरण
🔹 1. ISS से अनडॉकिंग प्रक्रिया (14 जुलाई, शाम 4:30 बजे)
स्पेसक्राफ्ट क्रू ड्रैगन, जिसमें शुक्ला सवार हैं, ISS से धीरे-धीरे अलग होगा। यह प्रक्रिया ऑटोमेटेड होती है लेकिन अंतरिक्ष यात्री निगरानी में रहते हैं।
🔹 2. पृथ्वी की ओर यात्रा और रेट्रोग्रेड बर्न
स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की ओर बढ़ेगा। जब यह रीएंट्री पॉइंट पर पहुंचेगा, तब रेट्रोग्रेड बर्न यानी रॉकेट इंजनों की फायरिंग होगी, जिससे स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार घटाई जाएगी।
🔹 3. वायुमंडल में प्रवेश और घर्षण की गर्मी
जैसे ही कैप्सूल वायुमंडल में प्रवेश करेगा, उसे तेज घर्षण और 28,000 किमी/घंटा की स्पीड से बढ़ती गर्मी का सामना करना होगा।
🔹 4. पैराशूट सिस्टम से धीमी गति
पहले छोटे पैराशूट और फिर मुख्य पैराशूट खुलेंगे। इससे गति घटकर 24 किमी/घंटा हो जाएगी और स्पेसक्राफ्ट सुरक्षित रूप से समुद्र में उतर सकेगा।
🔹 5. समुद्र में स्प्लैशडाउन और रिकवरी
NASA के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में होगी। SpaceX की रिकवरी टीम कैप्सूल को निकालकर यात्रियों को बाहर निकालेगी।
🔹 6. साथ लौटेंगे वैज्ञानिक डेटा और सैंपल
शुक्ला और टीम 263 किलोग्राम वैज्ञानिक उपकरण और 60+ वैज्ञानिक प्रयोगों के सैंपल ला रहे हैं, जो अंतरिक्ष में किए गए थे।
🕒 वापसी में कितना समय लगेगा?
अनडॉकिंग से लेकर स्प्लैशडाउन तक कुल यात्रा: 12–16 घंटे
रीएंट्री के समय स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार: 28,000 किमी/घंटा
लैंडिंग पर स्पीड: 24 किमी/घंटा
📺 NASA करेगा लाइव प्रसारण
जो लोग इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहते हैं, वे NASA की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर वापसी की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी (Shubhanshu Shukla’s return from space) न सिर्फ भारत के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि एक तकनीकी चमत्कार भी है। स्पेसक्राफ्ट की नियंत्रित रीएंट्री, रफ्तार और पैराशूट लैंडिंग जैसी प्रक्रियाएं विज्ञान और मानव क्षमता की अद्भुत मिसाल हैं।