
शपथ के बाद एक्शन मोड में आई नई सरकार (Rekha Gupta government), लेकिन अवैध कॉलोनियों से लेकर स्लम, जल संकट और प्रदूषण जैसी जमीनी समस्याएं बनी रहीं बड़ी बाधा
दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में एक नई सुबह का आगाज हुआ है। मुख्यमंत्री ने यमुना आरती और कैबिनेट बैठक से एक्शन की शुरुआत की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये ‘सुबह’ वाकई उस ‘विकसित दिल्ली’ (developed Delhi) की ओर ले जाएगी जिसकी उम्मीद जनता ने बीजेपी से की है?
जहां एक ओर सरकार (Rekha Gupta government) ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, 20 हजार लीटर पानी, अटल कैंटीन और महिला भत्ते जैसे वादों पर अमल की बात कही है, वहीं दूसरी ओर यथार्थ कुछ और ही है। दिल्ली की गलियां, कूड़े के पहाड़, प्रदूषण, अवैध कॉलोनियां, झुग्गियां और जल संकट जैसी समस्याएं, दिल्ली को ग्लोबल सिटी बनाने के रास्ते में बड़ी बाधा हैं।
🏙️ कॉस्मोपॉलिटन सिटी बनने से क्यों पिछड़ रही है दिल्ली?: दिल्ली को “मिनी इंडिया” (Mini India) कहा जाता है, लेकिन इसकी बुनियादी समस्याएं आज भी इसे वैश्विक राजधानी बनने से रोक रही हैं। मध्यवर्गीय तबका आज भी अवैध कॉलोनियों में जीवन बसर कर रहा है, जहां मूलभूत सुविधाओं का भारी अभाव है।
दिल्ली की 30% आबादी इन अवैध कॉलोनियों में रहती है, जहां सड़क, सीवर, नल और बिजली की व्यवस्था अब भी अधूरी है। मास्टर प्लान 2041 दिल्ली को भविष्य में विकसित बनाने की योजना है, लेकिन वर्तमान में राहत के संकेत कम ही दिखते हैं।
🚰 जल संकट, प्रदूषण और झुग्गियों की जमीनी हकीकत: दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है, जबकि आपूर्ति सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन ही हो पा रही है। गर्मी के मौसम में हालात और बिगड़ सकते हैं।
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वहीं स्लम क्षेत्रों में 3.5 लाख परिवार रहते हैं, लेकिन उनके लिए पक्के मकानों का सपना अब भी अधूरा है। ‘जहां झुग्गी वहां मकान’ योजना को रफ्तार देना रेखा गुप्ता सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए।
🏗️ मास्टर प्लान 2041 और धार्मिक अड़चनें : डीडीए का मास्टर प्लान 2041 दिल्ली को स्मार्ट और टिकाऊ शहर बनाने का खाका है, जिसमें जल-संरक्षण, हरित क्षेत्र, और आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लक्ष्य हैं। लेकिन जमीन पर अवैध धार्मिक स्थलों से लेकर ट्रैफिक और जलजमाव जैसी समस्याएं आज भी मुंह चिढ़ा रही हैं।