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भारत में दिखा दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण 2025: ‘रेड मून’ का अद्भुत नज़ारा, बच्चों में दिखा जबरदस्त उत्साह

Full lunar eclipse in India: भारत में दिखा दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण 2025: ‘रेड मून’ का अद्भुत नज़ारा, बच्चों में दिखा जबरदस्त उत्साह

नई दिल्लीFull lunar eclipse in India: रविवार रात भारत में 2025 का सबसे दुर्लभ और लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण देखा गया। लद्दाख से लेकर तमिलनाडु तक लाखों लोगों की निगाहें आसमान की ओर टिकी रहीं। रात 9:57 बजे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़नी शुरू हुई और 11:01 बजे चंद्रमा पूरी तरह से ढक गया। इस दौरान चंद्रमा का रंग तांबे जैसे लाल रंग में बदल गया, जिसे वैज्ञानिक भाषा में “ब्लड मून” कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण बना उत्सव, बच्चों और विज्ञान प्रेमियों में दिखा जोश

देशभर में लोगों ने इस खगोलीय घटना का बड़ी उत्सुकता और रोमांच के साथ दीदार किया। बच्चे, युवा और खगोल प्रेमी इस नज़ारे को कैमरे और टेलीस्कोप से कैद करने में जुटे रहे। सोशल मीडिया पर भी ‘रेड मून’ की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गईं।

बादलों ने कुछ राज्यों में किया मज़ा किरकिरा

हालांकि मानसूनी बादलों के कारण देश के कुछ हिस्सों में लोगों को निराशा हाथ लगी। लेकिन वैज्ञानिक संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय खगोल समूहों द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग की गई, जिससे लोग घर बैठे इस अद्भुत दृश्य का आनंद ले सके।

82 मिनट का था पूर्ण ग्रहण

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के अनुसार, 11:01 PM से 12:23 AM तक पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति बनी रही, जो कुल 82 मिनट की थी। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में था।

क्यों होता है चंद्र ग्रहण? वैज्ञानिकों ने बताया कारण

पूर्व वैज्ञानिक बी.एस. शैलजा के अनुसार, “चंद्रमा उस समय लाल दिखाई देता है जब पृथ्वी की छाया में आते समय सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से परावर्तित होकर उसकी सतह पर पड़ता है।” इस वजह से चंद्रमा को ‘रेड मून’ के रूप में देखा जाता है।

2022 के बाद सबसे लंबा और 2018 के बाद सबसे व्यापक

यह ग्रहण 2018 के बाद भारत के सभी हिस्सों से स्पष्ट रूप से देखा गया पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण था। 2022 के बाद यह सबसे लंबा पूर्ण ग्रहण भी रहा। अगला ऐसा मौका भारत में 31 दिसंबर 2028 को आएगा।

IIT वैज्ञानिकों ने भी दिया योगदान

IIT बेंगलुरु, लद्दाख और तमिलनाडु में स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की टीमों ने दूरबीनों की मदद से लाइव प्रसारण किया और जनता को इस खगोलीय घटना की वैज्ञानिक जानकारी भी दी।

वैज्ञानिकों की अपील: अंधविश्वास से दूर रहें

भारत में चंद्र ग्रहण को लेकर कई अंधविश्वास जुड़े होते हैं जैसे खाना न खाना, पानी न पीना या गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने के सुझाव देना। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्र ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जिसका मनुष्यों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता।

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के नीरुज मोहन रामानुजम ने कहा, “लोग इस नज़ारे का आनंद लें, बाहर जाकर खाना खाएं, यह पूरी तरह सुरक्षित है।”

📸 देखें चंद्र ग्रहण की शानदार तस्वीरें

निष्कर्ष:

2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण न केवल खगोलीय प्रेमियों के लिए खास रहा, बल्कि इसने लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करने का भी काम किया। अब अगला ऐसा नज़ारा 2028 के अंत में मिलेगा, तब तक के लिए ‘रेड मून’ की ये यादगार तस्वीरें ही साथ रहेंगी।

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