पाकिस्तान में आतंकियों की खुली भर्ती: हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगलते सरगना, रैलियों में युवाओं को बना रहे निशाना
Terrorist recruitment in Pakistan: पाकिस्तान में आतंकियों की खुलेआम भर्ती—हिंदुस्तान के खिलाफ भड़काऊ भाषणों से भरी रैलियां
Terrorist recruitment in Pakistan: पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की गतिविधियाँ एक बार फिर खुले तौर पर बढ़ती दिख रही हैं। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और इनके सहयोगी संगठनों ने हाल के दिनों में सार्वजनिक रैलियों के माध्यम से युवाओं और महिलाओं की भर्ती तेज कर दी है।
बहावलपुर में आयोजित एक बड़ी रैली में जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर ने न सिर्फ हिंदुस्तान के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए, बल्कि युवाओं को खुले मंच से आतंकवाद का हिस्सा बनने की अपील की। इसका ऑडियो भी मीडिया संस्थानों के पास मौजूद बताया जा रहा है।
जिहादी ब्रेनवॉश: गरीबी और धर्म के नाम पर युवाओं को फंसाने की कोशिश
रैली में वक्ताओं ने जिहाद को “इज्जत” और “मकसद” का प्रतीक बताकर युवाओं, खासतौर से गरीब परिवारों को निशाना बनाया।
धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या कर हिंसा को धार्मिक कर्तव्य के रूप में पेश करने की कोशिश की गई, जबकि कई इस्लामी विद्वानों ने इन दावों को गैर-इस्लामी और भ्रामक बताया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी संगठनों की बौखलाहट
सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर और अन्य काउंटर-टेरर ऑपरेशंस के बाद कई आतंकियों की वित्तीय और लॉजिस्टिक सप्लाई टूट चुकी है।
इस कारण ये संगठन अब ज्यादा से ज्यादा भीड़ इकट्ठा कर नई भर्ती करने में जुट गए हैं।
लेकिन पाकिस्तान के आम लोगों में आतंकवाद के प्रति नाराज़गी लगातार बढ़ रही है, खासतौर पर उन परिवारों में जो इन हमलों में अपने परिजनों को खो चुके हैं।
कौन है मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर?
- जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर का भाई
- भारत की “मोस्ट वांटेड” लिस्ट में शामिल
- कई हाई-प्रोफाइल आतंकी हमलों से जुड़ा
- वर्षों से पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूमता रहा
- अब फिर से सार्वजनिक रैलियों में सक्रिय
उसकी यह गतिविधियाँ न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
महिलाओं को भी बनाया जा रहा निशाना—सामाजिक कार्यों की आड़ में भर्ती अभियान
रिपोर्ट के अनुसार,
संगठनों ने अब भर्ती अभियान को महिलाओं तक फैलाया है।
मसूद अजहर की बहन सईदा अजहर जैसे चेहरे गरीब महिलाओं को “सामाजिक सेवा” और “धार्मिक शिक्षा” के नाम पर बहला रहे हैं।
सामाजिक कार्यों के नाम पर चल रहे ये कार्यक्रम वास्तव में चरमपंथी निर्माण की फैक्टरी बन चुके हैं।
आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान में आवाजें भी उठ रही हैं
कई नागरिक और समाजसेवी समूह अब खुलकर कह रहे हैं कि:
धर्म का गलत इस्तेमाल देश को बर्बादी की राह पर ले जा रहा है
आतंकवाद ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और समाज दोनों को तोड़ा है
कट्टर संगठन “जिहाद” का नकली संस्करण फैलाकर युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं
क्या होना चाहिए कदम? विशेषज्ञों की सिफारिशें
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मुकाबला सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि वैचारिक मोर्चे पर भी होना चाहिए:
- धार्मिक विद्वानों को आगे लाकर सही शिक्षाओं का प्रचार
- गरीब युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसर
- कट्टरपंथ से प्रभावित इलाकों में काउंसलिंग
- सोशल मीडिया पर आतंकी प्रोपेगेंडा की निगरानी
- अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाना



