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बच्चों को स्ट्रेस और डिप्रेशन से बचाने के लिए मांओं को अपनाने होंगे ये 5 जरूरी कदम

आजकल बच्चे कम उम्र में ही स्ट्रेस और डिप्रेशन (Children from stress and depression) का शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया का प्रेशर, पढ़ाई का तनाव या दोस्तों के बीच दिखावा… ये सभी चीजें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही हैं। ऐसे में एक मां के रूप में आपका रोल सबसे अहम है। आइए जानें, कैसे आप अपने बच्चे को इन मानसिक समस्याओं से बचा सकती हैं।

बच्चों में स्ट्रेस (Children from stress and depression) के लक्षण कैसे पहचानें?

  • मूड स्विंग्स (अचानक गुस्सा या चुप हो जाना)
  • नींद न आना या बहुत ज्यादा सोना
  • पढ़ाई या खेल में मन न लगना
  • अकेले रहने की आदत

मां कैसे बने बच्चे की ‘स्ट्रेस बस्टर’?

Children from stress and depression

1. दोस्त बनकर बात करें, मां बनकर नहीं!

  • बच्चे से रोज 15 मिनट उसकी पसंद के टॉपिक पर बात करें (जैसे उसका फेवरेट गेम या शो)।
  • टिप: “आज स्कूल में सबसे मजेदार क्या हुआ?” जैसे सवाल पूछें।

2. सोशल मीडिया की आदत पर नजर रखें

  • क्या करें?
    • बच्चे के फोन में स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें।
    • उसे रियल लाइफ एक्टिविटीज (डांस, स्पोर्ट्स) में व्यस्त रखें।

3. गलतियों पर डांटे नहीं, सपोर्ट करें

  • उदाहरण: अगर बच्चे के एग्जाम में कम नंबर आएं, तो कहें – “तुमने पूरी मेहनत की, अगली बार और बेहतर करोगे!”
  • न करें: “तुमसे कुछ नहीं होता” जैसे वाक्य बिल्कुल न बोलें।

4. थेरेपिस्ट से बात करने में हिचकें नहीं

  • अगर बच्चा 2 हफ्ते से ज्यादा उदास रहे, तो किसी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें।
  • मिथक तोड़ें: थेरेपी लेना कोई शर्म की बात नहीं है।

5. ‘क्वालिटी टाइम’ का ये मतलब नहीं कि…

  • सिर्फ साथ बैठकर फोन चलाना नहीं, बल्कि:
    • साथ में कुकिंग करना
    • पार्क में वॉक पर जाना
    • फैमिली गेम नाइट प्लान करना

स्ट्रेस्ड बच्चा vs हैप्पी बच्चा: अंतर समझें

पैरामीटरस्ट्रेस्ड बच्चाहैप्पी बच्चा
बातचीतचुप रहनाघर की बातें शेयर करना
खानपानभूख कम लगनाटाइम से खाना
सोशल लाइफअकेले रहना पसंददोस्तों के साथ एक्टिव

क्यों जरूरी है ये सब?

हाल ही में 25 साल की इंफ्लुएंसर मिशा अग्रवाल के सुसाइड केस ने दिखाया कि सोशल मीडिया प्रेशर और मानसिक तनाव कितना खतरनाक हो सकता है। बच्चों को इससे बचाने के लिए पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम है।

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एक्सपर्ट की राय

“बच्चे को ये एहसास दिलाएं कि उसकी गलतियाँ भी उसकी पहचान हैं। प्यार से समझाना ही सबसे बड़ी थेरेपी है।”
– डॉ. प्रियंका शर्मा, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट

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(क्या आपके बच्चे ने कभी स्ट्रेस की बात शेयर की है? अपने अनुभव कमेंट में बताएं!)

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