
दिल्ली के जंतर-मंतर (All India Drivers Protest Jantar Mantar) पर शनिवार 22 मार्च को 28 राज्यों के चालक और चालकों के प्रतिनिधि मंडलों ने मिलकर भारी विरोध प्रदर्शन (Jantar Mantar) किया। जिसमें उनकी मुख्य मांग रही ड्राइवर आयोग और ड्राइवर वेलफेयर बोर्ड बनाया जाए जैसा की कर्नाटक, उड़ीसा, असम में वेलफेयर बोर्ड बनाया गया है।

यह प्रदर्शन 28 राज्यों से चालक और चालकों के प्रतिनिधि मंडलों के आह्वान पर आयोजित किया गया। जिसमें प्रमुख आयोजनकर्ता सुमेर अंबावता, महासचिव, रविंद्र सिंह राठौड़, उपाध्यक्ष, किशन वर्मा, अध्यक्ष (दिल्ली ऑटो-टैक्सी ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन यूनियन), और सहयोगी सुरेश चंद यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष (वाहन चालक कल्याण संगठन उत्तर प्रदेश), शैलेश पाठक, राष्ट्रीय अध्यक्ष (व्यावसायिक ड्राइवर एकता सोसाइटी (VDES), उत्तर प्रदेश), किशन वर्मा और समस्त साथीगढ़ रहे।
Also Read: राजस्थान में कोचिंग सेंटरों पर कसेगी नकेल, अब कराना होगा ये काम

रविवार, 23 मार्च को संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने, आए हुए सभी 28 राज्य से संगठन के प्रमुख लोगों का स्वागत सम्मान किया। साथ ही एक मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें आगे की रणनीति को लेकर विचार विमर्श किया गया। मीटिंग इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अगर केंद्र सरकार ड्राइवर वेलफेयर बोर्ड की मांग पर सहमति नहीं बनाती है तो सभी 28 राज्यों के चालकों द्वारा देश भर में चक्का जाम किया जाएगा।


चालक और चालकों के प्रतिनिधि मंडलों द्वारा की गई मुख्य मांगे:
- केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय चालक आयोग का गठन किया जाए।
- राज्य स्तर चालक वेलफेयर बोर्ड पर सरकारों को आदेश दिया जाए जिससे कि देशभर चालकों को राहत मिल सके।

दिल्ली ऑटो-टैक्सी ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन यूनियन के महासचिव सुमेर अंबावता, अध्यक्ष, किशन वर्मा, और उपाध्यक्ष, रविंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि देशभर के चालकों (Jantar Mantar) के भविष्य एवं परिवार के पालन पोषण हेतु सड़कों पर समस्या आए दिन बढ़ती जा रही हैं। जो कि देशभर के सारथी चालकों के लिए गंभीर विषय है जैसे कि पुलिस एवं ट्रैफिक पुलिस परिवहन विभाग का अत्याचार एवं शोषण प्रताड़ित किए जाने जैसी घटनाएं आए दिन संगठन के सामने आती रहती हैं। जिस कारण चालक आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना झेलने के लिए मजबूर है जिसकी वजह से दिल्ली समेत देशभर के चालक अपने परिवार के पालन पोषण हेतु अपनी जिंदगी सड़कों पर अत्याचार एवं असामयिक दुर्घटना के जरिए खत्म हो रही है। जिस पर केंद्र एवं राज्य सरकारों का ध्यान अभी तक केंद्रित नहीं है अर्थात चालकों की इस जटिल समस्या के मद्देनजर देश की केंद्र सरकार के लिए गंभीरतापूर्वक विषय हैं। जिसके मद्देनजर न तो केंद्र सरकार पहल करने या न ही सुनने को राजी है और न ही राज्य सरकारें, जबकि देश की दूसरी अर्थव्यवस्था देश के चालकों पर टिकी हुई है। संगठन विनम्र अनुरोध करते हुए कहना चाहता है कि महामहिम राष्ट्रपति जी चालकों के परिवार के पालन पोषण एवं चालकों के उज्जवल भविष्य के लिए केंद्र सरकार आदेश पारित करके राष्ट्रीय चालक आयोग का गठन करें और राज्य स्तर चालक वेलफेयर बोर्ड पर सरकारों को आदेश दिया जाए जिससे कि देशभर चालकों को उपयुक्त अत्याचार एवं शोषण से राहत मिल सके। रविंद्र सिंह राठौड़ ने अपने शरीर पर बंधी हुई बेड़ियों के माध्यम से सरकार तक ये संदेश पहुंचाने का भी प्रयास किया है कि आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद भी ड्राइवर आज भी गुलाम है।