देश

भारत में 17 साल बाद फिर होगी राष्ट्रीय जनगणना, 2027 से होगी शुरुआत

Caste Census: देश में 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर राष्ट्रीय जनगणना का आयोजन किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जनगणना 1 मार्च 2027 से पूरे देश में शुरू की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार जनगणना जातिगत जनगणना (Caste Census) के साथ की जाएगी, जिससे सामाजिक और आर्थिक रूप से विस्तृत डेटा उपलब्ध हो सकेगा।

Caste Census: दो चरणों में होगी जनगणना प्रक्रिया

जनगणना को दो चरणों में संपन्न किया जाएगा। पहला चरण भारत के उत्तर के पर्वतीय क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। इसमें लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। इन क्षेत्रों में मौसम की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पहले जनगणना की जाएगी, जबकि बाकी देश में यह प्रक्रिया मार्च 2027 से शुरू होगी।

Read Also: Chinnaswamy Stadium Stampede News: RCB की पहली IPL जीत का जश्न बना मातम, चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़, 11 की मौ*त, 33 घायल

कोविड-19 के कारण 2021 की जनगणना में हुई थी देरी

वर्ष 2021 में निर्धारित जनगणना (Caste Census) कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। महामारी की अनिश्चितताओं और जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया था। अब 2027 की जनगणना को सरकार द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा डेटा संग्रह अभियान माना जा रहा है।

कानूनी प्रावधानों के तहत की जाती है जनगणना

भारत में जनगणना का संचालन जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के तहत किया जाता है। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी, जो दो चरणों में पूरी हुई थी — पहला चरण घरों की सूची बनाने का और दूसरा चरण जनगणना का।

Read AlsoIPL 2025 Final: RCB का सपना हुआ पूरा, पंजाब को 6 रन से हराया

जातिगत आंकड़ों से नीति निर्माण को मिलेगा बल

इस बार की जनगणना में जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे, जिससे सामाजिक संरचना की बेहतर समझ विकसित की जा सकेगी। इससे सरकार को सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं के लिए सटीक और लक्ष्य आधारित नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

2027 की जनगणना न केवल एक सांख्यिकीय अभ्यास है, बल्कि यह भारत के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को गहराई से समझने का एक बड़ा अवसर भी है। इस व्यापक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बेहद अहम होगी, ताकि देश की विकास योजनाएं तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित होकर प्रभावी ढंग से लागू की जा सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button