देश
बांग्लादेश की सत्ता की जंग: अमेरिका vs रूस, यूनुस सरकार बनाम सेना – कौन जीतेगा ?

बांग्लादेश एक बार फिर दो वैश्विक महाशक्तियों अमेरिका और रूस (America vs Russia) के बीच फंसता नजर आ रहा है। नोबेल विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार और सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां के बीच सत्ता की जंग ने देश को गहरे संकट में धकेल दिया है।
यूनुस सरकार पर अमेरिकी दबाव
- अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के बाद यूनुस सत्ता में आए, लेकिन उनकी सरकार पर अमेरिकी प्रभाव के आरोप लग रहे हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) खलीलुर रहमान के अमेरिकी नागरिक होने की खबरें चर्चा में।
- अमेरिका, रोहिंग्या संकट के नाम पर म्यांमार के साथ ‘ह्यूमेनिटेरियन कॉरिडोर’ बनाना चाहता है, लेकिन इसे विद्रोही समर्थन की चाल माना जा रहा है।
America vs Russia: सेना का रूस की ओर झुकाव
- सेना प्रमुख जनरल जमां ने अप्रैल में मास्को दौरा किया, जहां रूसी रक्षा कंपनियों से समझौते हुए।
- रूसी नौसेना के जहाज बांग्लादेश पहुंचे, जिसे सैन्य-राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।
- सेना ने दिसंबर तक चुनाव का अल्टीमेटम दिया, वरना सत्ता पर कब्जे की आशंका।
क्या है सेना और यूनुस सरकार के बीच मतभेद?
- सेना का आरोप – यूनुस सरकार कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है।
- पुलिस प्रशासन कमजोर, सेना खुद को देश का रक्षक मानती है।
- सेना के भीतर तख्तापलट की चर्चाएं, रूस का समर्थन सेना को मजबूती दे रहा है।
भारत के लिए क्यों है ये मामला अहम?
- शेख हसीना के समय भारत-बांग्लादेश संबंध मजबूत थे, लेकिन यूनुस सरकार ने चीन-पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ाई।
- यूनुस ने बंगाल की खाड़ी में चीन को ‘गार्जियन’ तक कहा, जिसके बाद भारत ने ट्रांजिट एग्रीमेंट रद्द किया।
- अब रूस-भारत की साझेदारी और रूपपुर न्यूक्लियर प्रोजेक्ट से भारत को नए अवसर मिल सकते हैं।
Readalso: EPFO ने 2024-25 के लिए 8.25% ब्याज दर की घोषणा की, 7 करोड़ से अधिक खाताधारकों को मिलेगा लाभ
निष्कर्ष: क्या होगा बांग्लादेश का भविष्य?
- अगर यूनुस सरकार टिकी, तो अमेरिकी प्रभाव बढ़ेगा।
- अगर सेना सत्ता पर काबिज हुई, तो रूस-भारत की भूमिका मजबूत होगी।
- बांग्लादेश की स्थिरता भारत के लिए अहम, क्योंकि यहां की राजनीति दक्षिण एशिया की सुरक्षा को प्रभावित करती है।
#बांग्लादेश #अमेरिका #रूस #यूनुस #सेना #भारत #चीन #रोहिंग्या #सियासीसंकट #Bangladesh #US #Russia #Yunus #Army #India #China #Rohingya #Political Crisis