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Ayodhya Ram Mandir: भव्य सजा रामलला का दरबार, शुरू हुआ राम मंदिर अयोध्या में त्रिदिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में त्रिदिवसीय प्राण प्रतिष्ठा (Ayodhya Ram Mandir) समारोह मंगलवार 03 जून से विधिवत रूप से प्रारंभ हो गया। पहले दिन का शुभारंभ प्रातः 6:30 बजे पंचांग पूजन के साथ हुआ, जो यज्ञमंडप के बाहर लगभग दो घंटे तक चला। इसके पश्चात प्रातः 9 बजे यज्ञशाला में प्रवेश कर धार्मिक अनुष्ठानों की अगली श्रृंखला आरंभ हुई।

Ayodhya Ram Mandir: यज्ञशाला में प्रवेश कर धार्मिक अनुष्ठानों की अगली श्रृंखला आरंभ
Ayodhya Ram Mandir: यज्ञशाला में प्रवेश कर धार्मिक अनुष्ठानों की अगली श्रृंखला आरंभ

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यज्ञशाला में धार्मिक विधियों का आयोजन

यज्ञशाला में दिगबन्धन, वास्तु पूजन, मंडप पूजन, प्रधान पूजन, अग्नि स्थापना और ग्रह स्थापन जैसे महत्वपूर्ण कर्मकांड सम्पन्न किए गए। ये धार्मिक क्रियाएं लगभग तीन घंटे तक चलीं। इस यज्ञशाला में कुल नौ यज्ञकुंड बनाए गए हैं, जिनमें वेद मंत्रों के साथ आहुतियां दी जा रही हैं। इन अनुष्ठानों के सुचारू संचालन के लिए कुल 16 ऋत्विक (वैदिक पुरोहित) नियुक्त किए गए हैं।

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दोपहर में पूजन और हवन

दोपहर 2 बजे से योगिनी पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, ग्रह यज्ञ, आह्वानित देवताओं का हवन, कर्मकुटी और जलाधिवास का आयोजन हुआ। इन धार्मिक प्रक्रियाओं का उद्देश्य प्राचीन परंपराओं के अनुसार देवताओं का आह्वान कर उन्हें मंदिर में विराजमान करना है। जलाधिवास के तहत मूर्तियों को पवित्र जल में स्नान कराकर उन्हें प्रतिष्ठा के लिए तैयार किया गया।

बुधवार 04 को पूजन की अगली श्रृंखला

अनुष्ठान का दूसरा दिन, बुधवार, देवताओं के पूजन और मूर्तियों को विविध प्रकार के स्नान कराने की विधियों के लिए निर्धारित है। इसमें अन्नाधिवास, देव स्नान, प्रसाद स्नान, शिखर स्नान, नगर भ्रमण, शैय्याधिवास और न्यास की विधियां सम्पन्न होंगी।

Ayodhya Ram Mandir: मुख्य आयोजन 5 जून को

पूरे त्रिदिवसीय अनुष्ठान का मुख्य आयोजन 5 जून को होगा, जब राम दरबार की प्रतिमाओं की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस दिन विशेष पूजन, आरती, भोग अर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। मंदिर परिसर में बने 21 छोटे मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं।

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श्रद्धालुओं की भागीदारी नहीं

यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूर्णतः निजी रखा गया है। इसमें आम श्रद्धालुओं को आमंत्रित नहीं किया गया है, ताकि सभी धार्मिक प्रक्रियाएं शांति और शुद्धता के साथ सम्पन्न हो सकें।

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