Deadly cough syrup investigation report: छिंदवाड़ा में फिर बड़ा खुलासा – दो और सिरप बने बच्चों के लिए जहर
Deadly cough syrup investigation report: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप से 17 नवजात बच्चों की मौत के बाद अब जांच रिपोर्ट ने एक और हिला देने वाला सच सामने लाया है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दो और कफ सिरप — री-लाइफ (Re-Life) और Respifresh-Tr — बच्चों के लिए घातक साबित हुए हैं।
दोनों सिरप गुजरात स्थित दवा कंपनियों में तैयार किए गए थे। जांच में पाया गया कि इन दवाओं में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) की मात्रा 0.01 प्रतिशत से अधिक थी — जो बच्चों की किडनी फेलियर और ब्रेन डैमेज का कारण बन रही है।
डायएथिलीन ग्लाइकॉल: दवा में सॉल्वेंट, पर मौत का कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि डायएथिलीन ग्लाइकॉल दवाओं में एक सॉल्वेंट (solvent) के रूप में प्रयोग होता है, लेकिन इसकी मात्रा बढ़ते ही यह घातक जहर में बदल जाता है। इसी रसायन की वजह से कई देशों में भी कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं।
‘श्री सन फार्मा’ की फैक्ट्री से खुला राज – डायरेक्टर फरार, उपकरण जंग लगे
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जहरीली कफ सिरप बनाने वाली ‘श्री सन फार्मा कंपनी’ का डायरेक्टर फरार है।
चौंकाने वाली बात यह है कि साल 2009 में यह कंपनी कानूनी रूप से बंद की गई थी, लेकिन बाद में नाम बदलकर दोबारा शुरू कर दी गई।
तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित इस फैक्ट्री का क्षेत्रफल करीब 2000 वर्ग फीट है। जांच में पाया गया कि यहां 60 से अधिक दवाएं बनाई जा रही थीं, और कई उपकरणों पर जंग लगी हुई थी — जो स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन है।
स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई की तैयारी
स्वास्थ्य विभाग ने अब इन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है।
दोनों जहरीले कफ सिरप को बाजार से तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश दिए गए हैं।
साथ ही, मृत बच्चों के परिजनों से लिए गए सैंपल को दोबारा जांच के लिए सेंट्रल ड्रग्स लैब (कोलकाता) भेजा जा रहा है।
जनता के लिए चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि री-लाइफ, Respifresh-Tr और कोल्ड्रिफ सिरप का प्रयोग तत्काल बंद करें। किसी भी बच्चे में सिरप लेने के बाद उल्टी, सुस्ती या बेहोशी के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
छिंदवाड़ा की यह घटना सिर्फ एक जिला नहीं, बल्कि पूरे देश के दवा सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़े करती है। जहरीली दवाओं की रोकथाम और गुणवत्ता नियंत्रण अब सरकार के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गया है।




