
उदयपुर। आधुनिक बैंकिंग में कर्ज लेने के लिए आपको दस्तावेज, गारंटी और ब्याज की चिंता सताती है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी इलाकों में “नोतरा प्रथा” (Rajasthan’s Notra Pratha) नाम की एक अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां तिलक लगाने और भोजन करने के बदले में लोगों को ब्याज-मुक्त आर्थिक सहयोग मिलता है। जानिए कैसे काम करती है यह प्रथा और क्यों यह आज भी प्रासंगिक है।
नोतरा प्रथा (Rajasthan’s Notra Pratha) क्या है?
- अर्थ: “नोतरा” का शाब्दिक अर्थ है निमंत्रण।
- उद्देश्य: शादी, मृत्युभोज या आपातकाल में सामुदायिक सहयोग देना।
- क्षेत्र: मुख्यतः राजस्थान के उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश-गुजरात के सीमावर्ती आदिवासी इलाकों में प्रचलित।
कैसे काम करती है यह Rajasthan’s Notra Pratha ?
- निमंत्रण (नोतरा): जरूरतमंद परिवार गांव के पंचों को नोतरा (निमंत्रण) देता है।
- तारीख तय करना: पंच तिथि निर्धारित करते हैं ताकि दो नोतरा एक साथ न हों।
- सहयोग राशि: गांव के हर परिवार के सदस्य तिलक लगाकर अपनी क्षमता अनुसार नकद या अनाज देते हैं।
- लेखा-जोखा: राशि का हिसाब गांव के शिक्षित व्यक्ति को सौंपा जाता है।
- भोजन और विदाई: सभी एक साथ भोजन करते हैं और जरूरतमंद को राशि सौंप दी जाती है।
आधुनिक बैंकिंग vs नोतरा प्रथा (Rajasthan’s Notra Pratha)
पैरामीटर | बैंक लोन | नोतरा प्रथा |
---|---|---|
ब्याज | 7-15% | 0% (ब्याज मुक्त) |
दस्तावेज | आवश्यक | नहीं |
गारंटी | जरूरी | भरोसा ही गारंटी |
समय | कई दिन/हफ्ते | 1 दिन में पूरा प्रोसेस |
क्यों खास है यह परंपरा?
- सामाजिक एकता: पूरा गांव एक परिवार की तरह सहयोग करता है।
- वित्तीय समानता: गरीब-अमीर का भेदभाव नहीं, सभी क्षमता अनुसार देते हैं।
- पारदर्शिता: राशि का हिसाब सार्वजनिक रूप से रखा जाता है।
- सांस्कृतिक पहचान: यह प्रथा आदिवासियों की सामूहिकता और विरासत को बचाए हुए है।
स्थानीय लोग क्या कहते हैं?
“नोतरा सिर्फ पैसे का लेन-देन नहीं, यह हमारे रिश्तों की डोर है। आज भी शहरों में बस चुके लोग इस परंपरा को निभाते हैं।”
– रमेश गरासिया, सामाजिक कार्यकर्ता, उदयपुर
चुनौतियां और भविष्य
- युवा पीढ़ी का रुझान कम: शहरीकरण और आधुनिकता के चलते परंपरा कमजोर हो रही है।
- सरकारी पहल: राजस्थान सरकार नोतरा को सामाजिक उद्यमिता से जोड़ने पर विचार कर रही है।
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निष्कर्ष:
नोतरा प्रथा साबित करती है कि “भरोसा” दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी है। यह परंपरा न सिर्फ वित्तीय जरूरतें पूरी करती है, बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी संदेश देती है।
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