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हरियाणा में प्रशासनिक सुधारों की बड़ी क्रांति! जन विश्वास अध्यादेश और कई नए नियमों को मिली कैबिनेट की मंजूरी

Haryana News: हरियाणा में प्रशासनिक सुधारों की नई लहर, जन विश्वास अध्यादेश को मंजूरी

Haryana News: हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक सुधारों को नई दिशा देने और शासन को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से रविवार को कई बड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में हरियाणा जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025, पंजाब फैक्ट्री नियमों में संशोधन, एचआईवी/एड्स नियम, और जेल नियमों में बदलाव को स्वीकृति दी गई।

जन विश्वास अध्यादेश 2025: शासन में ‘विश्वास आधारित व्यवस्था’

जन विश्वास अध्यादेश के तहत 17 विभागों के 42 अधिनियमों में मौजूद 164 आपराधिक प्रावधान हटाए जाएंगे।
अब छोटे तकनीकी या प्रक्रियागत उल्लंघनों के लिए आपराधिक दंड की बजाय सिविल दंड और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

यह निर्णय केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम, 2023 की तर्ज पर लिया गया है। इसे राज्य में ‘अपराधमुक्तिकरण’ का सबसे बड़ा प्रयास बताया जा रहा है, जिससे व्यापार, उद्योग और आम नागरिकों के लिए प्रक्रियाएं सरल होंगी।

फैक्ट्रियों में महिलाओं को समान अवसर

पंजाब फैक्ट्री नियम, 1952 में संशोधन कर महिलाओं को अब सभी श्रेणियों के कार्यों में भाग लेने की अनुमति दी गई है।
यह निर्णय महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

अब महिलाएं इंजीनियरिंग, रसायन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में भी काम कर सकेंगी।
हालांकि, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को खतरनाक कार्यों से मुक्त रखा जाएगा।
साथ ही, सभी शुल्क अब ऑनलाइन मोड में जमा किए जा सकेंगे।

एचआईवी/एड्स पीड़ितों के लिए नया न्याय तंत्र

कैबिनेट ने HIV और AIDS (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के तहत हरियाणा HIV और AIDS नियम, 2025 को मंजूरी दी।
इसके तहत राज्य के छह मंडलों – रोहतक, हिसार, करनाल, गुरुग्राम, फरीदाबाद और अंबाला में कमिश्नरों को लोकपाल नियुक्त किया जाएगा।

ये लोकपाल एचआईवी/एड्स प्रभावित लोगों की शिकायतों की सुनवाई करेंगे, जबकि संबंधित जिलों के सिविल सर्जन सहयोगी अधिकारी की भूमिका निभाएंगे।

जेल नियमों में बड़ा बदलाव

हरियाणा जेल (संशोधन) नियम, 2025 के तहत ‘आदतन अपराधी’ की नई परिभाषा तय की गई है।
अब कोई व्यक्ति जिसने पांच वर्षों में दो से अधिक बार अलग-अलग मामलों में सजा पाई हो, और वह सजा अपील में रद्द न हुई हो, तो उसे *

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