
Rajasthan SI Paper Leak: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
Rajasthan SI Paper Leak मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय होने तक चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग में शामिल नहीं किया जाएगा।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अंतर
- हाईकोर्ट डिवीजन बेंच (8 सितंबर 2025): चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग की अनुमति दी थी, लेकिन फील्ड पोस्टिंग पर रोक लगाई थी।
- सुप्रीम कोर्ट (24 सितंबर 2025): ट्रेनिंग पर भी रोक लगाई और कहा कि पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में है।
तीन माह में फैसला देने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह इस अपील का निस्तारण तीन माह के भीतर करे। तब तक 18 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा दिया गया आदेश लागू रहेगा, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया रोक दी गई थी।
दलीलें और पक्षकार
- राजस्थान सरकार की ओर से AAG शिवमंगल शर्मा ने तर्क दिया कि उम्मीदवारों को ट्रेनिंग की अनुमति दी जाए, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
- याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने पैरवी की।
- चयनित अभ्यर्थियों की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं।
पेपर लीक पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि चूंकि पूरी भर्ती परीक्षा पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोपों के चलते विवादों में है, इसलिए हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय तक किसी भी प्रकार की आगे की कार्रवाई, जिसमें ट्रेनिंग भी शामिल है, नहीं होगी।
हनुमान बेनीवाल का सरकार पर हमला
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने X (ट्विटर) पर लिखा:
- सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ का फैसला बरकरार रखा है।
- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भर्ती रद्द करने का क्रेडिट लिया था।
- लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार के वकील ने इसके विपरीत दलील दी, जिससे सरकार का “दोगला रवैया” उजागर हुआ।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सदैव मेहनतकश युवाओं के हितों की लड़ाई लड़ेगी।