
🌐 ट्रंप की धमकी पर रूस का पलटवार: भारत से दोस्ती (Russia India support) में नहीं आने देंगे कोई दबाव
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों ने एक बार फिर मजबूती दिखाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी के बाद, रूस खुलकर भारत के समर्थन (Russia India support) में उतर आया है। यह कदम वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और स्वतंत्र विदेश नीति की झलक देता है।
⚠️ ट्रंप की धमकी: भारत पर बढ़े टैरिफ और प्रतिबंध की चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अगर भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखता है, तो अमेरिका भारत पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है और प्रतिबंध भी लगा सकता है।
उनका तर्क यह था कि रूस से तेल की खरीद अमेरिका की भूराजनीतिक रणनीति के खिलाफ है।
रूस का स्पष्ट रुख: भारत के साथ परंपरागत रिश्तों पर कोई समझौता नहीं
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा:
“हर संप्रभु राष्ट्र को अपने आर्थिक हितों के आधार पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। भारत और रूस के संबंध मजबूत, पारंपरिक और रणनीतिक हैं। इन्हें कोई बाहरी दबाव कमजोर नहीं कर सकता।”
उन्होंने ट्रंप की धमकी को एकतरफा और अनुचित बताया।
🛢️ भारत ने भी अमेरिका को दिया करारा जवाब
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप की चेतावनी को अस्वीकार करते हुए कहा:
- भारत की ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- रूस से तेल खरीदना एक आर्थिक और रणनीतिक निर्णय है।
- अमेरिका और यूरोप खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, जो उनके दोहरे मानदंडों को उजागर करता है।
भारत ने यह भी कहा कि वह किसी भी बाहरी दबाव में आकर अपनी विदेश नीति नहीं बदलेगा।
🌍 रूस का आरोप: अमेरिका अपना प्रभुत्व बचाने के लिए नव-उपनिवेशवादी रवैया अपना रहा
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा:
“अमेरिका उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डालकर अपने वैश्विक वर्चस्व को बचाना चाहता है। यह नव-उपनिवेशवादी नीति है, जो आज की वैश्विक व्यवस्था के लिए खतरा है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह दौर प्रतिबंधों की राजनीति का है, और इसका प्रभाव वैश्विक दक्षिण यानी विकासशील देशों पर पड़ रहा है।
⚔️ विशेषज्ञों की राय: भारत-रूस संबंध और गहरे हो रहे
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद एक नई भू-राजनीतिक धुरी को जन्म दे सकता है। भारत और रूस का सहयोग:
- अब सिर्फ रक्षा और रणनीति तक सीमित नहीं
- ऊर्जा, व्यापार और तकनीक में भी सहयोग बढ़ रहा
- भारत की विदेश नीति की स्वतंत्रता को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है
अमेरिका की धमकी से नहीं डगमगाएगा भारत
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच रूस का भारत के समर्थन में खड़ा होना यह दिखाता है कि भारत अब एक आत्मनिर्भर और स्वतंत्र वैश्विक शक्ति बन चुका है।
भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और विदेश नीति को किसी भी दबाव में नहीं आने देगा।
📌 क्या यह नई वैश्विक ध्रुवीयता का संकेत है?
👉 अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं।