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Vrindavan: बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण पर विवाद, पुजारियों और स्थानीयों का तीव्र विरोध

Vrindavan: उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन के ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर में सुविधाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कॉरिडोर निर्माण का निर्णय लिया है। इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है और परियोजना के लिए बड़ी धनराशि भी स्वीकृत कर दी गई है। सरकार का दावा है कि यह परियोजना श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा और सुरक्षा प्रदान करेगी।

Vrindavan: पुजारियों और गोस्वामी समाज का विरोध

कॉरिडोर निर्माण की घोषणा के बाद मंदिर से जुड़े गोस्वामी समाज, पुजारी वर्ग और स्थानीय दुकानदारों ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि कॉरिडोर (Vrindavan) के नाम पर मंदिर की परंपरागत व्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत से खिलवाड़ किया जा रहा है। विरोध कर रहे पुजारियों का आरोप है कि इस परियोजना से धार्मिक स्वतंत्रता और सदियों पुरानी व्यवस्थाएं प्रभावित होंगी।

विरोध के मुख्य कारण:

✅ परंपरा पर खतरा: पुजारियों का कहना है कि कॉरिडोर निर्माण से मंदिर की सदियों पुरानी व्यवस्था प्रभावित होगी।
✅ स्थानीय आजीविका पर संकट: कई पारंपरिक दुकानें और घर हटाए जा सकते हैं।
✅ धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव: गोस्वामी समाज का आरोप है कि सरकार मंदिर प्रबंधन में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है।

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“विकास नहीं, विनाश है यह” – स्थानीय लोगों की चिंता

स्थानीय दुकानदारों और निवासियों का कहना है कि सरकार का यह कदम विकास के बजाय वृंदावन की आत्मा को नष्ट करने जैसा है। उनका आरोप है कि इस परियोजना के चलते कई पारंपरिक दुकानों, घरों और धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा सकता है, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है।

सरकार का पक्ष: “श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जरूरी”

सरकार का दावा है कि यह परियोजना भक्तों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
✅ भीड़ प्रबंधन: हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिन्हें तंग गलियों में दिक्कत होती है।
✅ बेहतर सुविधाएं: कॉरिडोर से स्वच्छता, पानी और बैठने की व्यवस्था में सुधार होगा।
✅ सुरक्षा बढ़ेगी: दुर्घटनाओं और भगदड़ की आशंका कम होगी।

श्रद्धालुओं का समर्थन: “अब मिलेगी राहत”

वहीं, दूसरी ओर लाखों श्रद्धालु इस कॉरिडोर के समर्थन में हैं। उनका कहना है कि हर साल लाखों भक्त बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए आते हैं और तंग गलियों में भीड़ के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को उम्मीद है कि कॉरिडोर बनने के बाद दर्शन सुविधाजनक और सुरक्षित हो जाएंगे।

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समाधान की ओर बढ़ते कदम जरूरी

विवाद के इस दौर में ज़रूरी है कि सरकार, मंदिर प्रशासन और स्थानीय समाज के बीच संवाद स्थापित किया जाए ताकि विकास कार्य परंपरा और आस्था से टकराए नहीं। वृंदावन (Vrindavan) की धार्मिक विरासत को सुरक्षित रखते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करना ही इस परियोजना की सफलता की असली कसौटी होगी।

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