
Asian Athletics Championship 2025: दक्षिण कोरिया के गुमी में चल रही एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 के चौथे दिन भारतीय महिला एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। कुल मिलाकर भारत ने शुक्रवार को चार स्पर्धाओं में पोडियम फिनिश हासिल की। इन उपलब्धियों में सबसे प्रेरणादायक कहानी 18 वर्षीय पूजा की रही, जिन्होंने संघर्षों के बीच स्वर्ण पदक जीता।
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पूजा की असाधारण छलांग और संघर्ष
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के छोटे से गांव बोस्ती में जन्मी पूजा ने महिलाओं की ऊंची कूद में 1.89 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह भारत की ओर से इस स्पर्धा में 2000 में बॉबी एलॉयसियस की जीत के बाद पहला स्वर्ण पदक है।
पूजा ने न सिर्फ प्रतियोगिता जीती बल्कि अपना अंडर-20 राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा। हालांकि वह 2012 में सहाना कुमारी द्वारा बनाए गए 1.92 मीटर के सीनियर राष्ट्रीय रिकॉर्ड से थोड़ी पीछे रहीं, लेकिन उनकी उपलब्धि शानदार रही।
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बांस, पराली और संकल्प से बनी चैंपियन
राजमिस्त्री हंसराज की बेटी पूजा ने बांस के डंडों और पराली से भरी बोरियों से बने स्थानीय लैंडिंग एरिया में अभ्यास करना शुरू किया था। सीमित संसाधनों में उन्होंने अपने सपनों को ऊंचाई दी, जहां सामान्यतः ऊंची कूद जैसे खेल की कल्पना भी नहीं की जाती।
प्रतियोगिता के पहले ही दिन अभ्यास के दौरान उनके स्पाइक्स फट गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पट्टियों की मदद से जूतों को बांधा और मैदान में उतरकर इतिहास रच दिया। वह इस स्पर्धा की अब तक की सबसे कम उम्र की एशियाई चैंपियन बन गईं।
अन्य प्रमुख प्रदर्शन
चौथे दिन भारत को अन्य स्वर्ण पदक गुलवीर सिंह (5000 मीटर दौड़) और नंदिनी अगासरा (हेप्टाथलॉन) ने दिलाए। इसके अलावा पारुल चौधरी ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा, जो इस दिन की एक और बड़ी उपलब्धि रही।
एशियाई चैंपियनशिप के चौथे दिन भारतीय महिला एथलीटों का प्रदर्शन न केवल पदकों की दृष्टि से, बल्कि मानव भावना और संघर्ष की कहानियों के रूप में भी याद किया जाएगा। पूजा की कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि सपनों की उड़ान संसाधनों से नहीं, संकल्प से तय होती है।