कांग्रेस में शशि थरूर को लेकर तनाव: मोदी समर्थन की ‘सज़ा’ या रणनीति?

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मोदी सरकार की नीतियों को लेकर उनकी ‘सॉफ्ट स्टैंस’ ने पार्टी के भीतर आग में घी का काम किया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व अब पाकिस्तान के खिलाफ गठित होने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से थरूर (Shashi Tharoor) को बाहर करने पर विचार कर रहा है। यह फैसला उनके “मोदी परस्ती” के चलते लिया जा सकता है, जिसे पार्टी लाइन से अलग माना जा रहा है।
क्यों नाराज़ हैं कांग्रेसी नेता?
- थरूर (Shashi Tharoor) ने हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की पाकिस्तान के प्रति नरमी की आलोचना करते हुए मोदी सरकार के स्टैंड को सही ठहराया।
- पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि भारत-पाक तनाव के समय सरकार का खुलकर समर्थन करना विपक्ष की भूमिका के खिलाफ है।
- थरूर के इस रुख को “पार्टी अनुशासन का उल्लंघन” बताया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल से बाहर होने का मतलब?
केंद्र सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक अभियान में शामिल होने वाले सांसदों के नाम मांगे हैं। हालांकि, पार्टी के एक बड़े वर्ग का कहना है कि “थरूर (Shashi Tharoor) को भेजना सरकार की रणनीति को बढ़ावा देना होगा।”
- विरोधियों का तर्क: थरूर का मोदी समर्थन पार्टी छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।
- समर्थकों का पक्ष: UN अनुभव और अंतरराष्ट्रीय पहचान के कारण थरूर प्रतिनिधिमंडल की प्रभावशीलता बढ़ाएंगे।
क्या कहा था थरूर (Shashi Tharoor) ने?
पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद थरूर ने स्पष्ट किया था:
“अमेरिका ने भारत-पाक को गलत तरीके से तौला। पाकिस्तान आतंक का पोषक है, जबकि भारत पीड़ित। सरकार ने सही कदम उठाया है।”
अगला कदम क्या?
कांग्रेस नेतृत्व इस मुद्दे पर रणनीतिक चर्चा कर रहा है। थरूर को प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने से:
- खतरा: पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ सकता है।
- फायदा: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा जा सकेगा।
निर्णय का इंतज़ार: क्या थरूर की विदेश नीति की दक्षता पार्टी अनुशासन पर भारी पड़ेगी, या कांग्रेस उन्हें “मोदी समर्थक” टैग देकर सन्देश देगी? अगले 48 घंटे इस मामले में अहम हो सकते हैं।