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Badrinath Dham : धरती का वह स्वर्ग जहां विष्णु विराजते हैं

चार धाम यात्रा का सबसे पवित्र और रहस्यमयी पड़ाव – बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) । इस साल 4 मई को खुलने वाले इस मंदिर के कपाटों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने वाली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे “धरती का बैकुंठ” क्यों कहा जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक रहस्य और महत्व।
Badrinath Dham को ‘धरती का बैकुंठ’ क्यों कहते हैं?
- भगवान विष्णु का निवास:
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ने तपस्या की थी।
- यहां स्थित बद्रीनारायण की मूर्ति को स्वयंभू (स्वयं प्रकट) माना जाता है।
- मोक्ष प्राप्ति का स्थान:
- ऐसी मान्यता है कि एक बार बद्रीनाथ के दर्शन करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
- इसीलिए इसे “भगवान का धरती पर स्वर्ग” कहा जाता है।
- पौराणिक कथा:
- पुराणों में वर्णित है कि माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर इस स्थान को अपना निवास बना लिया।
Badrinath Dham की विशेष मूर्ति और इतिहास
- काली पत्थर की स्वयंभू मूर्ति:
- यहां स्थापित भगवान बद्रीनारायण की मूर्ति करीब 1 मीटर ऊंची है।
- इसे आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर स्थापित किया था।
- अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां:
- मंदिर में कुबेर, लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां भी हैं।
Badrinath Dham दर्शन की सही विधि
- तप्त कुंड में स्नान:
- सबसे पहले गर्म पानी के कुंड (तप्त कुंड) में स्नान करें।
- नए वस्त्र धारण करें:
- स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर ही दर्शन करें।
- आदि शंकराचार्य मंदिर के दर्शन:
- बद्रीनाथ से पहले आदि ईश्वर महादेव मंदिर जरूर जाएं।
- प्रसाद ग्रहण करें:
- भगवान को तुलसी दल और मिश्री का भोग लगाया जाता है, इसे प्रसाद के रूप में लें।
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चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ का महत्व
- चार धामों में सबसे पवित्र:
- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में से बद्रीनाथ को सर्वोच्च माना जाता है।
- यात्रा का समय:
- मंदिर अप्रैल-मई से नवंबर तक खुला रहता है।
निष्कर्ष: भगवान विष्णु का धरती पर स्वर्ग
बद्रीनाथ न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि प्रकृति का अद्भुत संगम भी है। अगर आप मोक्ष और शांति की तलाश में हैं, तो इस बार बद्रीनाथ जरूर जाएं।