
Waqf Amendment Act : सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: पूरे कानून पर रोक नहीं बनती
Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता। हालांकि, कोर्ट ने कुछ विवादित धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई है और कहा है कि इन प्रावधानों को लागू करने से पहले स्पष्ट नियम और प्रक्रियाएं तय होनी चाहिए।
कोर्ट ने किन धाराओं पर लगाई अंतरिम रोक?
सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुख्य मुद्दों पर अंतरिम आदेश पारित किए हैं:
1. “पांच वर्षों से मुस्लिम होने” की अनिवार्यता पर रोक
- वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पिछले पांच साल से इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी बताया गया था।
- कोर्ट ने कहा, जब तक यह तय करने का तंत्र नहीं बनता कि कोई व्यक्ति मुस्लिम है या नहीं, तब तक यह प्रावधान निलंबित रहेगा।
2. राजस्व रिकॉर्ड में Collector की Entry पर रोक
- सरकार द्वारा विवाद लंबित रहने तक कलेक्टर को रिकॉर्ड में ‘यह वक्फ संपत्ति नहीं है’ दर्ज करने का अधिकार दिया गया था।
- कोर्ट ने इसे शक्ति पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का उल्लंघन मानते हुए उस प्रावधान पर रोक लगा दी।
3. गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा तय
- वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को क्रमश: तीन और चार तक सीमित किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नहीं लगाई पूरी रोक?
- कोर्ट का कहना है कि कानून की संवैधानिकता को हमेशा मान्यता दी जाती है।
- दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जाती है।
- प्रत्येक धारा की प्रथम दृष्टया समीक्षा के बाद कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है।
पृष्ठभूमि: कैसे पहुंचा मामला सुप्रीम कोर्ट?
- 5 अप्रैल 2025: राष्ट्रपति की मंजूरी
- 8 अप्रैल 2025: अधिनियम अधिसूचित
- 22 मई 2025: कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा
- सितंबर 2025: सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम फैसला जारी
केंद्र सरकार की दलील
- वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था है।
- संसद से पारित कानून संविधान के अनुरूप माना जाता है।
- सरकार ने 1,332 पन्नों का हलफनामा देकर कोर्ट से पूरे अधिनियम पर रोक न लगाने की अपील की।
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
- वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि यह कानून वक्फ संपत्तियों पर गैर-कानूनी नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है।
- अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा कि कुछ प्रावधानों पर प्रथम दृष्टया आपत्ति बनती है, इसलिए कोर्ट ने सही कदम उठाया है।
: क्या है कोर्ट का संकेत?
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मामला अब भी विचाराधीन है।
- जिन प्रावधानों पर रोक लगी है, वे संविधान और न्यायिक सिद्धांतों की जांच के दायरे में रहेंगे।
- यह एक अंतरिम फैसला है, अंतिम निर्णय आने तक स्थिति यथावत रहेगी।