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60 सांसदों की चुनौती, 7 महीने की जिद… और फिर अचानक इस्तीफा! धनखड़ का सबसे चौंकाने वाला फैसला

उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा (Vice President Dhankhar resigns:) : 60 सांसदों के अविश्वास प्रस्ताव के बाद अचानक पद से हटे

नई दिल्ली:
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक इस्तीफा (Vice President Dhankhar resigns) देकर सभी को चौंका दिया। उनका कार्यकाल 2027 तक था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत पद से इस्तीफा दे दिया। इस फैसले के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है और कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।

🔍 क्या कहा अपने इस्तीफे (Vice President Dhankhar resigns) में?

धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में लिखा,

“स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने हेतु मैं तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं। प्रधानमंत्री मोदी का सहयोग मेरे लिए अमूल्य रहा।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि उन्हें संसद सदस्यों से जो विश्वास और स्नेह मिला, वह उनकी स्मृति में हमेशा रहेगा। देश के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रभाव को देखकर गर्व महसूस हुआ।

🏛️ विपक्ष ने 60 सांसदों के साथ लाया था अविश्वास प्रस्ताव

धनखड़ के कार्यकाल के दौरान एक ऐतिहासिक घटना घटी। 10 दिसंबर 2024 को इंडिया गठबंधन के सांसदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया। आरोप था कि वे राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं।

60 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ कांग्रेस, टीएमसी, सपा, डीएमके, सीपीआई, आप सहित अन्य दलों के नेताओं ने यह प्रस्ताव राज्यसभा महासचिव को सौंपा। यह भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ, जब किसी उपराष्ट्रपति को हटाने का नोटिस पेश किया गया।

हालांकि 19 दिसंबर 2024 को यह प्रस्ताव तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि नोटिस नियमानुसार 14 दिन पहले नहीं दिया गया था।

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📅 इस्तीफे से पहले व्यस्त थे धनखड़

धनखड़ का इस्तीफा और भी चौंकाने वाला इसलिए रहा क्योंकि सोमवार को संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ था। मंगलवार के लिए उन्होंने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक तय की थी और न्यायपालिका से जुड़े बड़े फैसलों की घोषणा भी होने वाली थी। साथ ही, 23 जुलाई को जयपुर में एक कार्यक्रम में भी उनका शामिल होना तय था।

उपराष्ट्रपति कार्यालय तक को उनके इस्तीफे की जानकारी नहीं थी, जिससे यह फैसला और ज्यादा रहस्यमयी बन गया।

🗣️ जयराम रमेश ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह फैसला चौंकाने वाला और अप्रत्याशित है। उन्होंने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे तक वे धनखड़ से मिले और शाम 7:30 बजे फोन पर भी बातचीत हुई। उन्होंने स्वास्थ्य प्राथमिकता की बात मानी, लेकिन यह भी जोड़ा कि

“इस फैसले के पीछे जो दिख रहा है, शायद उससे ज्यादा कुछ है।”

उन्होंने अपील की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें फैसला बदलने के लिए मनाएं, जिससे देश और लोकतंत्र दोनों का हित सुरक्षित रहे।


धनखड़ का इस्तीफा कई राजनीतिक संकेत छोड़ गया है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव, संसद के आगामी सत्र और न्यायपालिका से जुड़ी घोषणाओं के ठीक पहले यह इस्तीफा कहीं न कहीं कई सवाल खड़े करता है। फिलहाल, पूरे देश की निगाहें अब नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और राजनीतिक समीकरणों पर टिकी हैं।

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