यूपी के 5000 स्कूलों का मर्जर अब नहीं रुकेगा! हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार को 5000 प्राथमिक स्कूलों के मर्जर के फैसले पर हाई कोर्ट से बड़ी राहत (UP school merger High Court decision) मिली है। कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और सरकार की नीति को वैध ठहराया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ, जस्टिस पंकज भाटिया ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से नीतिगत है और यह निर्णय छात्रों के व्यापक हित में लिया गया है।
🧾 क्या है मर्जर (UP school merger High Court decision) का मामला?
यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून 2025 को एक आदेश जारी किया था जिसमें छात्र संख्या के आधार पर करीब 5000 प्राइमरी स्कूलों को नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
सरकार का तर्क था कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है, वहां संसाधनों का अपव्यय हो रहा है। इस मर्जर से शिक्षकों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतर उपयोग संभव होगा, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी।
⚖️ क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा:
“सरकार का यह नीतिगत निर्णय तब तक चुनौती नहीं दी जा सकती जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।”
🙋♂️ क्या थे याचिकाकर्ताओं के तर्क?
कुछ शिक्षक संगठनों और अभिभावकों ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था:
- ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में कठिनाई होगी
- मर्जर से शिक्षकों की नौकरियों पर असर पड़ सकता है
लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय बच्चों के समग्र हित को ध्यान में रखकर लिया गया है।
📊 सरकार का उद्देश्य क्या है?
- कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करके संसाधनों का कुशल उपयोग
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना
- इन्फ्रास्ट्रक्चर और टीचिंग स्टाफ का अधिकतम उपयोग