देशव्यापार

भारतीयों के बायकॉट से तुर्की को करोड़ों का नुकसान, एर्दोगन पर मंडराया संकट

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। इसके जवाब में भारतीयों ने तुर्की के सामान और सेवाओं का बड़े पैमाने पर बायकॉट (Turkey’s Boycott) शुरू कर दिया है। इस बायकॉट (Turkey’s Boycott) का असर तुर्की की अर्थव्यवस्था पर सीधे तौर पर दिखने लगा है। टूरिज्म, वेडिंग डेस्टिनेशन और सेब के निर्यात जैसे क्षेत्रों में तुर्की को हर दिन करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।

Turkey’s Boycott : वेडिंग कैंसिल से 770 करोड़ का झटका

तुर्की भारतीयों के लिए एक लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन रहा है। हर साल यहां भारतीय जोड़े लाखों रुपये खर्च कर शादियां करते थे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। मई 2025 में होने वाली 50 भारतीय शादियों में से 30 कैंसिल हो चुकी हैं। एक शादी पर लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च होता है, जिसके चलते तुर्की को 770 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।

टूरिज्म से 2000 करोड़ का बड़ा झटका

टूरिज्म से 2000 करोड़ का बड़ा झटका

तुर्की में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। अकेले उत्तर प्रदेश से ही तुर्की और अजरबैजान के 20,000 से ज्यादा टूर पैकेज कैंसिल हो चुके हैं, जिससे 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अगर यही सिलसिला जारी रहा, तो तुर्की को 150-200 मिलियन डॉलर (लगभग 1500-2000 करोड़ रुपये) का और नुकसान उठाना पड़ सकता है।

Turkey’s Boycott से ट्रिप कैंसिल में बेतहाशा बढ़ोतरी

  • मेक माय ट्रिप पर तुर्की के 250% से ज्यादा टूर पैकेज कैंसिल हुए।
  • EaseMyTrip पर भी 22% से अधिक बुकिंग रद्द की गईं।

Turkey’s Boycott : सेब का निर्यात ठप, 821 करोड़ का खतरा

तुर्की से भारत को होने वाले सेब के निर्यात पर भारतीयों के बायकॉट का गंभीर प्रभाव पड़ा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजार में तुर्की से आयातित सेबों की मांग में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है। यदि यह बहिष्कार जारी रहा, तो तुर्की को हर साल 800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सेब निर्यात में भारी गिरावट

  • 2021-22: 563 करोड़ रुपये के सेब का निर्यात
  • 2022-23: 739 करोड़ रुपये के सेब का निर्यात
  • 2023-24: 821 करोड़ रुपये के सेब का निर्यात

लेकिन, भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा तुर्की उत्पादों के बहिष्कार के कारण 2024-25 में यह आंकड़ा गिरकर शून्य तक पहुंच सकता है। इससे तुर्की के किसानों और निर्यातकों को भारी आर्थिक नुकसान होगा, और उनके लाखों टन सेब बिना बिके सड़ने को मजबूर हो जाएंगे।

भारत के विकल्प, तुर्की की मुश्किलें

भारत ने तुर्की के सेबों का विकल्प ढूंढना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और विदेशों (ईरान, चिली) से सेब का आयात बढ़ रहा है। इससे तुर्की के लिए भारत जैसे बड़े बाजार को खोने का खतरा पैदा हो गया है।

निष्कर्ष

भारतीय उपभोक्ताओं के बहिष्कार ने तुर्की के सेब निर्यात व्यापार को झटका दिया है। यदि यह रुख जारी रहा, तो तुर्की को न केवल सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान होगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा भी प्रभावित होगा।

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निष्कर्ष:

भारतीयों के बायकॉट ने तुर्की की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया है। वेडिंग, टूरिज्म और सेब के निर्यात जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारी नुकसान के चलते तुर्की सरकार और राष्ट्रपति एर्दोगन पर दबाव बढ़ गया है। अगर यह बहिष्कार जारी रहा, तो तुर्की को भविष्य में और भी बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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