लाइफस्टाइलहोम

दिवाली पर जिमीकंद की सब्जी बनाने का महत्व, जानें इसके पीछे की परंपरा

दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं और ढेर सारे पकवान बनाते हैं। दीपों के इस उत्सव को लेकर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। इनमें से एक खास परंपरा है जिमीकंद (सूरन) की सब्जी (Jimikand Recipe) बनाने की। कई राज्यों में दिवाली के दिन जिमीकंद बनाने और खाने की परंपरा है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि दीपावली के दिन सूरन की सब्जी (Jimikand Recipe) क्यों बनाई जाती है?

Jimikand Recipe

दिवाली पर जिमीकंद क्यों बनाते हैं?

जिमीकंद को ओल, सूरन या हाथी पैर रतालू भी कहा जाता है। यह विशेष रूप से दिवाली के अवसर पर बनाई जाती है। मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में इस परंपरा का पालन किया जाता है, खासकर कायस्थ और ब्राह्मण समुदाय के लोग इसे अपनाते हैं।

Also Read: दिवाली की सबसे सस्ती शॉपिंग के लिए भारत के ये बेहतरीन बाजार

मान्यता: मान्यता है कि दिवाली पर इस सब्जी (Jimikand Recipe) को बनाना शुभ होता है, और इससे घर-परिवार में खुशहाली आती है। लोग विश्वास करते हैं कि जिमीकंद में धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है।

दिवाली पर लोग सूरन (Jimikand) क्यों खाते हैं?

Jimikand Recipe

दिवाली के दिन जिमीकंद बनाने और खाने (Jimikand Recipe) से परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन जिमीकंद की सब्जी बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। इसके माध्यम से प्रार्थना की जाती है कि जैसे जिमीकंद कभी खराब नहीं होता और हमेशा फलता-फूलता है, उसी तरह उनके घर में भी समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।

इस प्रकार, जिमीकंद की सब्जी (Jimikand Recipe) का दिवाली के दिन विशेष महत्व है, और इसे खाने से घर में धन, सुख और सौभाग्य का आगमन होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button