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वक्फ संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट: फैसले से पहले जानिए क्या रही दोनों पक्षों की 5 बड़ी दलीलें

“वक्फ कानून (Waqf law) पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला! 5 पॉइंट्स में जानें क्या थीं मुख्य दलीलें?”

तीन दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून (Waqf law) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संविधान, धर्म, और मूल अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा संवैधानिक मुद्दा बन गया। आइए जानें इस सुनवाई की 5 अहम बातें जो इस केस को ऐतिहासिक बनाती हैं:


1. क्या वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं?

सरकार की दलील थी कि वक्फ एक धार्मिक दान है, लेकिन इसे इस्लाम का आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं माना जा सकता। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने हदीसों और कुरान की आयतों का हवाला देकर इसे इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा बताया।


2. पारदर्शिता बनाम हस्तक्षेप: किसका है असली उद्देश्य?

सरकार का दावा है कि नया कानून पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन लाने के लिए है, जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसे “संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश” बताया। इमामबाड़ा और जामा मस्जिद जैसे प्रमुख स्थलों के खोने का डर भी जताया गया।


3. वक्फ बाय यूजर का अंत या नई जंग की शुरुआत?

सरकार ने वक्फ बाय यूजर को असंगत और दुरुपयोग योग्य करार दिया, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह बदलाव विवाद और कब्जे की साजिश बन सकता है। बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर भी बड़ा सवाल उठा।


4. 500 साल पुरानी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा?

सरकार के अनुसार, बिना रजिस्ट्रेशन के अब कोई भी संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने पूछा कि सौ साल पुरानी वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन कैसे किया जाएगा? साथ ही, जेपीसी की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए।


5. 5 साल तक मुस्लिम प्रैक्टिस का सबूत – भेदभावपूर्ण शर्त?

नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति को 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना अनिवार्य किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने इसे अनुच्छेद 15 के तहत भेदभावपूर्ण बताया और सवाल उठाया – “इसे साबित कैसे किया जाएगा?”

कानून (Waqf law) का उद्देश्य: पारदर्शिता या हस्तक्षेप?

  • केंद्र: वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और दुरुपयोग रोकने के लिए कानून।
  • याचिकाकर्ता: यह मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों में अतिक्रमण है (लखनऊ इमामबाड़ा और संभल मस्जिद का उदाहरण)।

📌 क्या है आगे?

अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वक्फ संशोधन कानून को संविधान सम्मत माना जाएगा या इसमें बदलाव होंगे? फैसला किसी भी समय आ सकता है।

अगर आप चाहते हैं कि इस विषय पर फैसला आते ही अपडेट मिले, तो हमें फॉलो करना न भूलें।
यह मामला न सिर्फ मुसलमानों, बल्कि भारत के संविधान, धार्मिक स्वतंत्रता और क़ानूनी प्रक्रिया की असली परीक्षा है।

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