देश

FASTag नहीं तो कैश दो..! ऐसे होता है Toll Plaza पर स्कैम

UP के मिर्जापुर में एक टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर फर्जी सॉफ़्टवेयर के जरिए घोटाले का मामला सामने आया है, जिसे लेकर सरकार ने जांच समिति का गठन किया है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) सिस्टम में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई, लेकिन नकद लेन-देन में कई अनियमितताएं जरूर पाई गईं। इस घोटाले में दोषी एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है, और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए फास्टैग और एएनपीआर आधारित टोलिंग सिस्टम को और मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है।

मिर्जापुर (Toll Plaza) के इस घोटाले का खुलासा एसटीएफ द्वारा की गई एफआईआर के माध्यम से हुआ। जांच में यह पाया गया कि टोल मैनेजमेंट सिस्टम (TMS) सॉफ़्टवेयर का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था, और हैंडहेल्ड मशीनों का उपयोग कर अवैध फास्टैग और ब्लैकलिस्टेड फास्टैग वाहनों से नकद वसूली की जा रही थी। हालांकि, यह भी साफ किया गया कि ETC सिस्टम में कोई उल्लंघन नहीं था।

सरकार ने बताया कि जब अवैध फास्टैग वाले वाहन टोल प्लाजा (Toll Plaza) में प्रवेश करते थे, तो बूम बैरियर नहीं खुलता था, जिससे वाहनों को अतिरिक्त नकद भुगतान करना पड़ता था। टोल ऑपरेटर इस लेन-देन को छूट या उल्लंघन के रूप में दर्ज कर लेते थे, और अवैध पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) मशीनों से भुगतान रसीद बना लेते थे। इस तरह से टोल ऑपरेटरों द्वारा नकद वसूली की संभावना को लेकर चिंता जताई गई है।

Readalso: सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) के मिशन के साइलेंट हीरो उनके पति माइकल, ऐसी थी उनकी लव स्टोरी

इस घटना के बाद, एनएचएआई NHAI) ने दोषी एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया और उस पर एक साल का बैन लगा दिया। साथ ही, एसटीएफ द्वारा आपराधिक कार्रवाई भी शुरू की गई है। इसके अलावा, 13 यूजर फीस संग्रहण एजेंसियों पर भी दो साल के लिए बैन लगा दिया गया है। सरकार अब टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर ऑडिट कैमरे लगाने पर विचार कर रही है ताकि एआई की मदद से सटीक आंकड़े सामने आ सकें और भविष्य में ऐसे घोटाले न हो सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button