
RBI’s strategy to strengthen the rupee: डॉलर के दबाव में रुपये को बचाने की RBI की नई रणनीति
RBI’s strategy to strengthen the rupee: अमेरिका की ओर से टैरिफ बढ़ने और डॉलर की वैश्विक मांग तेज होने के बीच भारतीय रुपया कमजोर होता जा रहा है। लेकिन अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्थिति को संभालने के लिए कमान संभाल ली है। RBI ने ऑफशोर नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, जिससे रुपये को स्थिरता मिल सके।
डॉलर की मांग बढ़ी, आपूर्ति घटी – क्यों बढ़ा दबाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ की आशंकाओं के कारण:
- एक्सपोर्टर्स (निर्यातक) ने डॉलर बेचना फिलहाल टाल दिया है।
- इम्पोर्टर्स (आयातक) ने हेजिंग बढ़ा दी है ताकि भविष्य में डॉलर महंगा न पड़े।
इससे बाजार में डॉलर की मांग तो बढ़ी, लेकिन आपूर्ति कम हो गई, जिसका सीधा असर रुपये पर पड़ा।
RBI का बदलता रुख: अब स्थिरता पर ज्यादा फोकस
पहले RBI एक निश्चित स्तर पर रुपये को स्थिर रखने की कोशिश करता था, लेकिन अब उसकी प्राथमिकता है कि बाजार में बेहद अधिक उतार-चढ़ाव न हो। उदाहरण के लिए:
जब रुपया 88.40 प्रति डॉलर तक गिरा, तो RBI ने NDF बाजार में डॉलर बेचकर हस्तक्षेप किया, जिससे गिरावट थमी।
ऑनशोर और ऑफशोर दोनों मोर्चों पर RBI सक्रिय
एक वरिष्ठ मुद्रा व्यापारी के मुताबिक, इस बार RBI ने:
- ऑफशोर NDF बाजार में सक्रियता दिखाई।
- साथ ही, ऑनशोर स्पॉट मार्केट में भी दखल देकर कीमतों में स्थिरता लाई।
रुपये की अस्थिरता में गिरावट दर्ज
RBI की इस रणनीति से एक बड़ा फायदा हुआ है:
बाजार में रुपये की वोलैटिलिटी यानी उतार-चढ़ाव पिछले छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है।
यह दर्शाता है कि मुद्रा बाजार में स्थिरता बढ़ी है और निवेशकों का भरोसा लौट रहा है।
** रुपये को थामने में सफल हो रही है RBI की रणनीति**
डॉलर की दबंगई के बीच RBI की सक्रियता रुपये को नई ताकत दे रही है। चाहे वो NDF बाजार हो या देश का ऑनशोर मार्केट — हर जगह RBI ने संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है।