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Pushkar Fair 2025: ऊंटों की धरती पर रंगीन जश्न – जानिए कब, कहां और कैसे मनाया जाएगा भारत का सबसे अनोखा पुष्कर मेला

पुष्कर मेला भारत का सबसे रंगीन, पारंपरिक और रोमांचक मेला माना जाता है। यह केवल ऊंटों का मेला नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और लोकजीवन का जीवंत उत्सव है। वर्ष 2025 में पुष्कर मेला 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। 7 दिनों तक चलने वाला यह मेला देश-विदेश से हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।

Pushkar Fair 2025: राजस्थान की सांस्कृतिक धरती पर हर साल लगने वाला पुष्कर मेला भारत का सबसे रंगीन, पारंपरिक और रोमांचक मेला माना जाता है। यह केवल ऊंटों का मेला नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और लोकजीवन का जीवंत उत्सव है। वर्ष 2025 में पुष्कर मेला (Pushkar Fair 2025) 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। 7 दिनों तक चलने वाला यह मेला देश-विदेश से हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।

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क्या है पुष्कर मेला का धार्मिक महत्व

मान्यता है कि ब्रह्मांड के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर झील में यज्ञ किया था। कहते हैं कि देवताओं के राजा इंद्र ने यहां एक कमल का पुष्प गिराया, जिससे यह पवित्र सरोवर बना। इसी से इसका नाम पड़ा – पुष्कर। यही वजह है कि यह मेला (Pushkar Fair 2025) केवल पर्यटन का उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पर्व भी है, जहां भक्तजन स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

पुष्कर मेला 2025: कार्यक्रमों की झलक

Pushkar Fair 2025: ऊंटों की धरती पर रंगीन जश्न – जानिए कब, कहां और कैसे मनाया जाएगा भारत का सबसे अनोखा पुष्कर मेला
Pushkar Fair 2025: ऊंटों की धरती पर रंगीन जश्न – जानिए कब, कहां और कैसे मनाया जाएगा भारत का सबसे अनोखा पुष्कर मेला

दिन 1 (30 अक्टूबर, गुरुवार): शुभारंभ और सांस्कृतिक रंग

राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी द्वारा ध्वजारोहण और ब्रह्मा मंदिर में आरती के साथ मेले की शुरुआत की। पारंपरिक नगाड़ा वादन, मांडना प्रतियोगिता और ‘चक दे राजस्थान’ फुटबॉल मैच से दिन रंगीन बना। शाम को पुष्कर झील पर महाआरती, दीपदान और ‘पुष्कर की आवाज’ नामक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।

दिन 2 (31 अक्टूबर, शुक्रवार): लोक खेल और ऊंट नृत्य

देसी खेल जैसे लंगड़ी टांग और गिल्ली-डंडा के साथ दिन की शुरुआत होगी। इसके बाद मशहूर ऊंट सजावट और ऊंट नृत्य प्रतियोगिता पर्यटकों को मोहित करेगी। शाम में लोक नृत्य दलों की प्रस्तुतियां मेले की शोभा बढ़ाएंगी।

दिन 3 (1 नवंबर, शनिवार): खेल और संगीत का संगम

तीसरे दिन भारत और विदेशी नागरिकों के बीच कबड्डी मैच आयोजित होगा। इसके साथ घोड़ा नृत्य प्रतियोगिता और ग्रामीण खेल भी होंगे। शाम को फ्यूजन बैंड ‘कबीर कैफे’ अपनी प्रस्तुति से माहौल में संगीत का जादू बिखेरेगा।

दिन 4 (2 नवंबर, रविवार): आस्था और संस्कृति का दिन

सुबह शोभायात्रा और आध्यात्मिक पदयात्रा निकाली जाएगी। शिल्पग्राम में खाद्य एवं शिल्प महोत्सव का उद्घाटन होगा, जहां देशभर के कलाकार हस्तशिल्प और व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाएंगे। शाम को पुष्कर झील (Pushkar Fair 2025) पर महाआरती और ‘बेस्ट ऑफ राजस्थान’ कार्यक्रम से दिन का समापन होगा।

दिन 5 (3 नवंबर, सोमवार): खेल, मस्ती और बॉलीवुड नाइट

इस दिन होगा ‘लगान स्टाइल क्रिकेट मैच’, ग्रामीण खेलों का फाइनल, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता और प्रसिद्ध ‘मूंछ प्रतियोगिता’। शाम को मशहूर गायक रूप कुमार राठौड़ और सोनाली राठौड़ अपनी मनमोहक आवाज़ से शाम को यादगार बना देंगे।

दिन 6 (4 नवंबर, मंगलवार): महिलाओं के लिए विशेष दिन

महिलाओं के लिए आयोजित मटका दौड़ और म्यूजिकल चेयर जैसी प्रतियोगिताओं से दिन उत्साह से भरा रहेगा। शाम को श्री बाणेश्वरी कला केंद्र द्वारा रामायण की मंच प्रस्तुति और कवि सम्मेलन में नामचीन कवियों की उपस्थिति रहेगी।

दिन 7 (5 नवंबर, बुधवार): समापन और महाआरती

अंतिम दिन पुरस्कार वितरण, ऊंट व घोड़ा शो, कलाकार सम्मान और भव्य महाआरती के साथ यह रंगीन मेला समाप्त होगा।

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ऊंट मेला – पुष्कर की असली पहचान

पुष्कर मेला (Pushkar Fair 2025) दुनिया के सबसे बड़े ऊंट मेलों में से एक है। यहां हजारों ऊंटों को रंगीन कपड़ों, आभूषणों और मेहंदी से सजाया जाता है। ऊंट रेस, खरीद-बिक्री और सजावट प्रतियोगिताएं मेले की प्रमुख आकर्षण हैं। यह दृश्य देखने लायक होता है जब रेगिस्तान की रेत पर सजे ऊंट रथ की तरह इठलाते हैं।

लोक संगीत और नृत्य – राजस्थान की आत्मा

राजस्थान की लोक परंपरा का सार इस मेले (Pushkar Fair 2025) में देखने को मिलता है। लोक कलाकारों के गीत और नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया और चकरी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हर शाम मेले का माहौल लोक धुनों से गूंजता है, जिसमें विदेशी पर्यटक भी शामिल होकर नाच उठते हैं।

हस्तशिल्प और लोक बाजार

शॉपिंग प्रेमियों के लिए पुष्कर मेला एक हैंडिक्राफ्ट स्वर्ग है। यहां पारंपरिक राजस्थानी पोशाकें, रंगीन चूड़ियां, जूतियां, गहने और सजावटी वस्तुएं मिलती हैं। पर्यटक यहां से असली राजस्थानी स्मृतिचिह्न (souvenirs) लेकर अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हैं।

पुष्कर तक पहुंचने के आसान मार्ग

हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (150 किमी) है। जयपुर से टैक्सी या बस द्वारा 2–3 घंटे में पुष्कर पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर जंक्शन (11 किमी) है। वहां से टैक्सी या ऑटो द्वारा मात्र 25 मिनट में पुष्कर पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग: जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और दिल्ली से पुष्कर के लिए सीधी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। NH-8 से होकर आने पर रास्ते में रेत के टीले और गांवों के दृश्य इस यात्रा को और भी सुंदर बना देते हैं।

पुष्कर मेला 2025 (Pushkar Fair 2025) सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवंत संस्कृति, अध्यात्म और लोकजीवन का प्रतीक है। यहां की आस्था, संगीत, नृत्य, ऊंटों की रौनक और हस्तशिल्प का संगम हर आगंतुक के दिल में अमिट छाप छोड़ जाता है। यह मेला निस्संदेह भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत उत्सव है।

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