महापौर गणेश केसरवानी ने लिया हंस जन्मभूमि मुक्ति अभियान का संकल्प, बोले – जल्द मुक्त होगा पौराणिक तीर्थ क्षेत्र
Hans Janmabhoomi Mukti Abhiyan Prayagraj : महापौर गणेश केसरवानी बने हंस जन्मभूमि मुक्ति अभियान के हिस्सा
Hans Janmabhoomi Mukti Abhiyan Prayagraj : भगवान विष्णु के हंसावतार की जन्मभूमि, वेदों की उत्पत्ति स्थल और भगवान ब्रह्मदेव की तप:स्थली — पौराणिक हंस तीर्थ क्षेत्र (झूंसी, गंगा तट, प्रयागराज) — की मुक्ति के लिए चल रहे आंदोलन को नया बल मिला है। प्रयागराज के महापौर गणेश केसरवानी ने इस वर्ष हंस नवमी (आंवला नवमी) के अवसर पर आयोजित हंस जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र मुक्ति रैली में भाग लेकर इस अभियान को अपना समर्थन दिया।
पवित्र स्थल की मुक्ति के लिए जनता की आवाज़
महापौर ने रैली में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा —
“भगवान हंस की जन्मभूमि हमारी आस्था और पौराणिक पहचान का प्रतीक है। इसे शीघ्र मुक्त कराकर इसके मूल स्वरूप को पुनर्स्थापित किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस पवित्र स्थल की रक्षा और दर्शन व्यवस्था को लेकर नगर निगम और प्रशासन मिलकर कार्य करेंगे।
रैली का भव्य आयोजन
यह यात्रा पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में शिवगंगा ग्राउंड से प्रारंभ हुई। रैली भगवान परशुराम अखाड़ा, कैलास धाम, परमानंद आश्रम, देवहरा बाबा आश्रम सहित कई धार्मिक स्थलों से होती हुई हंस तीर्थ स्थल पर पहुंची।
श्रद्धालुओं ने वहां पहुंचकर भगवान हंस की जन्मभूमि की परिक्रमा की और पूजा-अर्चना की।
दीवारों से घिरे पवित्र स्थल से दुखी हुए श्रद्धालु
भक्तों ने बताया कि हंस जन्मभूमि स्थल के चारों ओर ऊँची दीवारें बनाकर क्षेत्र को बंद कर दिया गया है। हाल ही में हंस कूप को भी टीन शेड और पक्की दीवारों से घेरने का प्रयास किया गया, जिससे श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
बड़े गेट और विरोध के चलते भक्तों को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली, जिसके कारण सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सड़क पर ही पूजा-अर्चना की।
संयोजक व्यास मुनि का बयान
अभियान के संयोजक व्यास मुनि जी ने कहा कि—
“हम इस पूरे घटनाक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष रखेंगे। हंस तीर्थ क्षेत्र की मुक्ति के लिए जनआंदोलन जारी रहेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि रैली के दौरान प्रशासनिक अनुमति और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु पुलिस बल और राजस्व अधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
हंस तीर्थ को अक्षयवट की भांति पूजनीय, वेदों की उत्पत्ति स्थली और भगवान विष्णु के हंसावतार की जन्मभूमि माना जाता है। यह स्थान प्रयागराज के गंगा तट पर झूंसी क्षेत्र में स्थित है, जो प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक साधना का प्रमुख केंद्र रहा है।




