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धरती की हर हलचल पर नजर रखेगा ‘निसार’, ISRO-NASA के सबसे बड़े मिशन की लॉन्चिंग आज!

🛰️ ISRO-NASA का संयुक्त निसार मिशन (NISAR Mission 2025) आज होगा लॉन्च

भारत की अंतरिक्ष तकनीक एक नए युग में प्रवेश करने जा रही है। इसरो और नासा द्वारा मिलकर बनाया गया निसार मिशन 2025 (NISAR Mission 2025) आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन भारत की तकनीकी ताकत को वैश्विक मंच पर साबित करने वाला है।

🚀 GSLV Mk II रॉकेट से होगी लॉन्चिंग

इसरो इस उपग्रह को GSLV-Mk II (F16) रॉकेट की मदद से लॉन्च करेगा। यह रॉकेट चेन्नई से 135 किमी पूर्व में स्थित दूसरे लॉन्चपैड से उड़ान भरेगा। लॉन्च के लगभग 19 मिनट बाद, सैटेलाइट को सौर-सिंक (Sun-Synchronous) ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

🌍 पूरी धरती पर रखेगा नजर, हर 12 दिन में करेगा स्कैन

निसार मिशन का लक्ष्य है पूरी धरती की नियमित निगरानी। यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा और हर महीने औसतन 2.5 बार कवरेज देगा। 120 दिनों में यह 10 बार पूरी पृथ्वी का डेटा एकत्र करेगा।

🛰️ विशेष तकनीक: एल-बैंड और एस-बैंड रडार का मेल

इसरो और नासा ने मिलकर इस सैटेलाइट में दो प्रमुख तकनीकें शामिल की हैं—

  • एल-बैंड रडार (NASA)
  • एस-बैंड रडार (ISRO)

इनके मेल से बना यह रडार धरती की सतह के हर कोने का सटीक डेटा एकत्र करने में सक्षम होगा—चाहे वह अंटार्कटिका हो या हिमालय।

🔍 मौसम, जंगल और ग्लेशियर की निगरानी में क्रांति

पूर्व ISRO वैज्ञानिक राधाकृष्ण कवलुरु के अनुसार, यह मिशन मौसम परिवर्तन, जंगलों में बदलाव, पर्वतों की हलचल, और ग्लेशियर की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगा। यह जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च के लिए एक मील का पत्थर होगा।

🔗 डेटा रहेगा ओपन-सोर्स, आम जनता भी कर सकेगी उपयोग

निसार मिशन का एक और खास पहलू यह है कि इसका डेटा आम जनता के लिए उपलब्ध होगा।

  • ISRO की ‘भूनिधि’ वेबसाइट
  • NASA की ‘Alaska Satellite Facility’

यहां से रिसर्चर्स, वैज्ञानिक और यहां तक कि स्टूडेंट्स भी इस डेटा का मुफ्त उपयोग कर सकेंगे।

🛠️ फोल्डेबल 12 मीटर एंटीना— तीन कारें उसके नीचे आ सकती हैं!

इस मिशन का एक खास फीचर है इसका विशाल एंटीना, जिसकी लंबाई 12 मीटर है। यह फिलहाल रॉकेट के अंदर फोल्ड किया गया है और कक्षा में स्थापित होने के बाद इसे धीरे-धीरे खोला जाएगा।

5 साल का मिशन, भारत की वैश्विक छवि को देगा नई पहचान

निसार मिशन को पांच साल के ऑपरेशनल जीवनकाल के लिए डिजाइन किया गया है। इससे दुनिया के देश और कंपनियां भारत की तकनीकी क्षमताओं को जान पाएंगी। यह इसरो के लिए न केवल तकनीकी बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

🔚 निष्कर्ष: निसार से बदलेगा पृथ्वी को देखने का नजरिया

निसार मिशन एक तकनीकी क्रांति है। यह केवल सैटेलाइट नहीं बल्कि भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान की साझेदारी का प्रतीक है। यह मिशन धरती को समझने का तरीका ही बदल देगा।

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