मुख्य बिंदु
- 7 जून को सचिन पायलट ने गहलोत को दी थी राजेश पायलट पुण्यतिथि सभा का न्योता
- 11 जून को दौसा में गहलोत ने दी श्रद्धांजलि
- कांग्रेस की आंतरिक कलह खत्म करने की कोशिश तेज
जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में सियासी हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट की चार दिनों में दूसरी मुलाकात (Gehlot-Pilot’s meeting) ने नई अटकलों को जन्म दिया है। 7 जून 2025 को पायलट ने गहलोत के जयपुर आवास पर जाकर उन्हें अपने पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि सभा का निमंत्रण दिया। 11 जून को गहलोत दौसा पहुंचे और सभा में शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह गहलोत-पायलट मुलाकात (Gehlot-Pilot’s meeting) सामान्य शिष्टाचार से कहीं अधिक मानी जा रही है, क्योंकि दोनों नेताओं के बीच 2018 से चली आ रही तनातनी अब कम होती दिख रही है।
क्या राजस्थान कांग्रेस में बदल रही हवा?
- 7 जून: सचिन पायलट ने गहलोत के आवास पर 2 घंटे की बैठक की
- 11 जून: गहलोत ने राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा में भाग लिया
- 2018 से चली आ रही तनातनी में नरमी के संकेत
- 2023 विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में एकता की कोशिशें तेज
गहलोत-पायलट विवाद का इतिहास
| वर्ष | घटना | प्रभाव |
|---|---|---|
| 2018 | गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया | पायलट खेमे में नाराजगी |
| 2020 | पायलट ने 18 विधायकों के साथ बगावत की | सरकार संकट में आई |
| 2023 | विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार | दोनों गुटों को एकता की जरूरत |
क्यों मायने रखती है यह मुलाकात (Gehlot-Pilot’s meeting)?
2018 में कांग्रेस की जीत के बाद सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन आलाकमान ने गहलोत को चुना। इससे पायलट खेमे में नाराजगी बढ़ी, जो 2020 में खुली बगावत तक पहुंची। पायलट ने 18 विधायकों के साथ दिल्ली कूच किया और गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। आलाकमान की मध्यस्थता से मामला शांत हुआ, लेकिन खटास बरकरार रही। अब यह मुलाकात कांग्रेस एकता की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
कांग्रेस की सियासी रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार ने आलाकमान को एकजुटता की जरूरत महसूस कराई। गहलोत और पायलट की सुलह से कार्यकर्ताओं में उत्साह है। विश्लेषकों का मानना है कि यह एकता आगामी स्थानीय और राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती दे सकती है। गहलोत का सभा में शामिल होना और उनकी भावुक पोस्ट इस सुलह की गंभीरता को दर्शाती हैं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी समाचार स्रोतों पर आधारित है। सियासी घटनाक्रम बदल सकते हैं। नवीनतम जानकारी के लिए विश्वसनीय स्रोतों की जांच करें।
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