
अमेरिका के 25% टैरिफ (Donald Trump tariff) पर भारत क्या करेगा? सरकार की रणनीति पर उठे सवाल
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% का टैरिफ (Donald Trump tariff) लगाने के ऐलान के बाद देश में राजनीतिक तूफान आ गया है। विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है, वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह देशहित को सर्वोपरि मानते हुए सोच-समझकर कदम उठाएगी।
📣 पीयूष गोयल का बयान – देशहित सर्वोच्च, बातचीत से निकलेगा हल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बयान जारी कर कहा कि भारत फिलहाल ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव आए। उन्होंने कहा:
“हम सभी हितधारकों से बातचीत कर रहे हैं और अमेरिका के टैरिफ के प्रभावों का गहन मूल्यांकन किया जा रहा है। भारत की प्राथमिकता देशहित है।”
🏛️ दिल्ली और वाशिंगटन में हुईं 4 बैठकें
गोयल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच चार द्विपक्षीय बैठकें दिल्ली और वाशिंगटन में हो चुकी हैं। मार्च 2025 तक पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते के पहले चरण पर सहमति बनाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ निर्णय ने उस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
💬 सभी हितधारकों से राय-मशविरा जारी
वाणिज्य मंत्रालय सभी प्रभावित क्षेत्रों – किसानों, निर्यातकों, MSME, उद्योगपतियों और श्रमिक संगठनों – से जानकारी जुटा रहा है। सरकार का मानना है कि कोई भी प्रतिक्रिया सोच-समझकर दी जानी चाहिए ताकि भारत के दीर्घकालिक आर्थिक हित सुरक्षित रहें।
📈 भारत बना दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अब Fragile Five से निकलकर विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत ने UAE, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और EFTA जैसे देशों के साथ सफलतापूर्वक व्यापार समझौते किए हैं, और अब अन्य देशों के साथ भी ऐसे ही करार की दिशा में काम कर रहा है।
🗨️ विपक्ष का हमला – ट्रंप से दोस्ती नाकाम!
कांग्रेस ने सरकार को घेरा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने संसद में इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की अमेरिका से दोस्ती और व्यापार समझौतों की रणनीति विफल रही है।
“प्रधानमंत्री ने ट्रंप से जो दोस्ती दिखाई थी, वो पूरी तरह खोखली साबित हुई है। न कोई डील हुई, न टैरिफ पर ठोस जवाब।”
🔍भारत सोच-समझकर उठाएगा अगला कदम
सरकार फिलहाल संतुलित नीति अपनाते हुए, अमेरिका के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने के पक्ष में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जल्दबाज़ी में कोई कठोर कदम उठाने से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को नुकसान हो सकता है।