
raveling hidden in the landing gear of a plane: 60°C ठंड और ऑक्सीजन की कमी में कैसे जिंदा बचा बच्चा? विमान के लैंडिंग गियर में छुपकर दिल्ली पहुंचा अफगानी किशोर
raveling hidden in the landing gear of a plane: काबुल से दिल्ली तक ‘डंकी सफर’ दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उस समय सब हैरान रह गए जब काबुल से आई एक फ्लाइट के लैंडिंग गियर कंपार्टमेंट में एक 13 साल का अफगानी बच्चा जिंदा पाया गया। बच्चा काम एयर फ्लाइट RQ 4401 से लगभग 94 मिनट का सफर तय करके दिल्ली पहुंचा।
यह घटना न केवल सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि लोग जान जोखिम में डालकर भी ‘डंकी सफर’ जैसा खतरनाक तरीका अपनाने से पीछे नहीं हटते।

क्यों है इतना खतरनाक ‘लैंडिंग गियर कंपार्टमेंट’?
- लैंडिंग गियर विमान के पहियों को संभालने वाला हिस्सा है, जो टेकऑफ और लैंडिंग के समय खुलता-बंद होता है।
- यहां न तो ऑक्सीजन होती है, न ही गर्मी बनाए रखने की व्यवस्था।
- जब विमान 30,000-40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है, तो तापमान -40°C से -60°C तक चला जाता है।
- हवा का दबाव इतना कम हो जाता है कि इंसान का सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
इसी कारण, 1947 से 2020 तक 126 मामलों में से केवल 28 लोग ही जिंदा बचे, जबकि 98 लोगों की मौत हो गई।
इतिहास में दर्ज ऐसे हैरान करने वाले मामले
- 1969: अर्मांडो सोकारास रमीरेज़, क्यूबा से मैड्रिड जिंदा पहुंचे।
- 1996: भारत के प्रदीप सैनी बचे, लेकिन उनके भाई विजय हीथ्रो एयरपोर्ट के पास विमान से गिरकर मारे गए।
- 2000: फिदेल मारुही बोइंग 747 के पहियों पर बैठकर ताहिती से लॉस एंजेल्स पहुंचे।
- 2014: कैलिफ़ोर्निया के याहया आब्दी (15 साल) बोइंग 767 के पहियों में बैठकर सैन जोशे से माउई पहुंचे।
अफगानी बच्चे का खुलासा
पूछताछ में बच्चे ने बताया कि वह ईरान जाना चाहता था, लेकिन गलती से दिल्ली की फ्लाइट में चढ़ गया।
वह पूरे सफर के दौरान लैंडिंग गियर कंपार्टमेंट में बैठा रहा।
सुरक्षा एजेंसियों ने उसे पकड़कर इलाज दिया और बाद में CISF ने उसे वापस अफगानिस्तान भेज दिया।
सुरक्षा पर उठे सवाल
यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा झटका है। सवाल यह है कि इतनी सख्त चेकिंग के बावजूद कोई नाबालिग बच्चा विमान के पहियों तक कैसे पहुंच गया?