
💥 रिपोर्ट: डॉलर में 45 साल की सबसे बड़ी तबाही, फिर भी नहीं डगमगाया रुपया!
साल 2025 की पहली छमाही अमेरिकी डॉलर के लिए बेहद बुरी साबित हुई है। डॉलर इंडेक्स में करीब 11% की गिरावट देखने को मिली है, जो कि पिछले 45 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट (dollar index weakest in 45 years) मानी जा रही है। विशेषज्ञ इसे 1980 के बाद की सबसे बड़ी आधवार्षिक गिरावट मान रहे हैं।
📉 क्यों तिलमिलाए डोनाल्ड ट्रंप?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और अमेरिका में चल रही व्यापारिक अनिश्चितताओं ने डॉलर की सेहत को बुरी तरह प्रभावित किया है। वहीं, व्यापार समझौते में देरी और आयात शुल्क को लेकर असमंजस ने भी डॉलर पर दबाव बनाया।
💹 रुपये ने दिखाई मजबूती, कारोबार के अंत में बढ़त के साथ बंद
बुधवार को रुपये में शुरुआती गिरावट के बाद जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली। रुपया 6 पैसे की बढ़त के साथ 85.67 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज के अनुसार, दिन भर रुपये ने 85.93 से 85.65 के बीच कारोबार किया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के करंसी विशेषज्ञ जतिन त्रिवेदी के मुताबिक, व्यापार समझौते में प्रगति और शुल्क टालने के फैसले ने रुपये को स्थिरता दी और गिरावट को सीमित किया।
📊 डॉलर इंडेक्स में ऐतिहासिक गिरावट (Dollar index weakest in 45 years)
बुधवार को भले ही डॉलर इंडेक्स 0.03% की बढ़त के साथ 97.02 पर बंद हुआ, लेकिन 2025 की पहली छमाही में इसमें 11% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट 1980 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन मानी जा रही है।
📈 रुपये की परफॉर्मेंस डॉलर से बेहतर
31 दिसंबर 2024 को रुपया जहां 85.55 पर बंद हुआ था, वहीं 30 जून 2025 को 85.70 पर रहा। यानी रुपए में बेहद मामूली गिरावट दर्ज की गई है। करेंसी एक्सपर्ट अनुज गुप्ता के मुताबिक, साल की दूसरी छमाही में भी रुपया 85 से 87 के दायरे में रह सकता है।
📉 शेयर बाजार में भी रही गिरावट
बुधवार को बीएसई सेंसेक्स में 176 अंकों की गिरावट रही और यह 83,536.08 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी भी 46.40 अंक गिरकर 25,476.10 पर आ गया। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के पास बनी हुई हैं, जिससे रुपये पर भी आंशिक दबाव देखा गया।
✅ निष्कर्ष
जहां एक ओर डॉलर में 45 साल की सबसे बड़ी गिरावट ने ग्लोबल बाजारों को चौंका दिया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय रुपया अपेक्षाकृत स्थिर और मजबूत नजर आ रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉलर और रुपया किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।