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भारत की सुरक्षा पर मंडरा रहा नया खतरा! क्या चीन-पाक गठबंधन में बांग्लादेश भी जुड़ गया?

China-Pakistan-Bangladesh alliance is a threat to India’s security

नई दिल्ली: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने दक्षिण एशिया में बदलते रणनीतिक समीकरण को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने साफ कहा कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कोई भी रणनीतिक गठबंधन (China-Pakistan-Bangladesh alliance is a threat to India’s security) भारत की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

यह चेतावनी उस वक्त आई है जब भारत को कूटनीतिक और सैन्य मोर्चे पर एक साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


🌐 चीन की ‘कर्ज कूटनीति’ और हिंद महासागर में विस्तारवाद

CDS चौहान ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अपनी ‘Debt Diplomacy’ के जरिए रणनीतिक पकड़ मजबूत कर रहा है।
आर्थिक संकट झेल रहे देशों को कर्ज देकर चीन उन्हें अपने नियंत्रण में लेता जा रहा है — जिसमें बांग्लादेश भी अब शामिल होता नजर आ रहा है।


⚠️ बांग्लादेश का झुकाव चीन की ओर? भारत-बांग्लादेश संबंधों में खटास

  • पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में कथित शरण लेने के बाद से बांग्लादेश की नई सत्ता पर चीन का प्रभाव बढ़ा है।
  • इससे भारत-बांग्लादेश के संबंधों में तनाव देखा जा रहा है।

🔥 ऑपरेशन सिंदूर: परमाणु ताकतों की सीधी भिड़ंत

जनरल चौहान ने 7-10 मई 2025 के भारत-पाक सैन्य संघर्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा:

“यह पहली बार था जब दो परमाणु संपन्न देश सीधे युद्ध में भिड़े।”

  • भारत ने इस संघर्ष में पाकिस्तान को परंपरागत युद्ध में उलझाकर रखा
  • पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को लक्षित कार्रवाई से तबाह किया गया

☢️ भारत का परमाणु सिद्धांत: ‘No First Use’ हमारी ताकत

CDS ने भारत के परमाणु नीति को “रणनीतिक आत्मविश्वास” का स्रोत बताया।

“हमने पहले हमले की नीति नहीं अपनाई, लेकिन दुश्मन को जवाब देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।”


🚨 भविष्य की युद्ध रणनीति: टेक्नोलॉजी है अगला मोर्चा

  • ड्रोन अटैक, हाइपरसोनिक मिसाइल, साइबर वॉरफेयर जैसे खतरों का जिक्र करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि:

“इन खतरों से निपटने के लिए कोई पूर्ण सुरक्षा प्रणाली नहीं है। रणनीति, तकनीक और तैयारी — तीनों ज़रूरी हैं।”


🧠 निष्कर्ष: क्या भारत तैयार है एक नई रणनीतिक चुनौती के लिए?

CDS चौहान का यह बयान सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि भविष्य के लिए रणनीतिक रोडमैप का संकेत है।
अगर चीन-पाक-बांग्लादेश का त्रिकोणीय गठजोड़ आकार लेता है, तो भारत के सामने एक नया सुरक्षा संकट खड़ा हो सकता है।

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