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भारत के समर्थन में चीन! अमेरिका के टैरिफ पर दिया करारा जवाब, ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो का नया अध्याय?

📰 भारत पर अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ चीन (China in support of India) ने उठाई आवाज, कहा – ‘पूर्ण विरोध’

नेशनल डेस्क – अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% तक के टैरिफ को लेकर चीन ने खुलकर भारत का समर्थन (China in support of India) किया है। गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने अमेरिका की टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा:

“चीन भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% शुल्क और उसे और बढ़ाने की धमकी का पूरी तरह विरोध करता है।”

💼 वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर मंडराता खतरा

चीनी राजदूत ने कहा कि अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ और व्यापार युद्ध पूरी दुनिया की आर्थिक वाणिज्यिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन मिलकर अगर “ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो” यानी सहयोग की नई धारा शुरू करें, तो इससे वैश्विक स्थिरता और विकास को मजबूती मिल सकती है।

🤝 भारत-चीन संबंधों में दिखा नया मोड़

राजदूत की टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब भारत और चीन के संबंधों में सुधार का संकेत मिल रहा है। मंगलवार को दोनों देशों ने “स्थिर, सहयोगी और भविष्यमुखी” संबंधों को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदमों की घोषणा की थी। इनमें शामिल हैं:

  • सीमा पर शांति बनाए रखना
  • सीमा व्यापार को फिर से शुरू करना
  • निवेश प्रवाह को बढ़ावा देना
  • सीधी हवाई सेवाओं की बहाली

🧾 संयुक्त दस्तावेज में दर्ज हुए भारत-चीन के नए फैसले

इन सभी उपायों को भारत और चीन द्वारा एक संयुक्त दस्तावेज में शामिल किया गया है, जो दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चीन के इस खुले समर्थन को अमेरिका की ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत वैश्विक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

🗓️ SCO सम्मेलन में भारत-चीन की बड़ी भूमिका

आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को लेकर भी फेइहोंग ने कहा कि उनका देश भारत समेत सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर इस सम्मेलन को सफल बनाना चाहता है। उन्होंने मैत्री, एकता और सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही।

अमेरिका की व्यापार नीति के बीच चीन का भारत के पक्ष में खड़ा होना एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक घटनाक्रम है। यह न केवल भारत-चीन रिश्तों में नई शुरुआत का संकेत देता है, बल्कि अमेरिका के एकतरफा फैसलों के खिलाफ एकजुटता का भी प्रतीक है।

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