आचार्य नरेंद्र देव जयंती के अवसर पर राजधानी में दो दिवसीय ‘Yuva Socialist Conference’ का आयोजन
दिल्ली के राजेंद्र भवन में 31 अक्टूबर 2025 को यह सम्मेलन ‘युवा सोशलिस्ट पहल’ द्वारा आयोजित किया गया था। यह युवाओं का एक मंच रहा, जिसमें शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, विद्वान, छात्र, ट्रेड यूनियन नेता, किसान नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता आदि शामिल हुए। ये सभी भारतीय समाज को बदलने में समाजवादी विचारधारा की क्षमता में विश्वास रखते थे।
Yuva Socialist Conference: दिल्ली के राजेंद्र भवन में 31 अक्टूबर 2025 को यह सम्मेलन ‘युवा सोशलिस्ट पहल’ द्वारा आयोजित किया गया था। यह युवाओं का एक मंच रहा, जिसमें शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, विद्वान, छात्र, ट्रेड यूनियन नेता, किसान नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता आदि शामिल हुए। ये सभी भारतीय समाज को बदलने में समाजवादी विचारधारा की क्षमता में विश्वास रखते थे।
यह मंच व्यापक स्तर पर नव-साम्राज्यवादी पूंजीवाद और सांप्रदायिक फासीवाद का विरोध करता था। इसने देश के युवाओं को समाजवादी विचारधारा से शिक्षित करने और वर्तमान भारतीय राजनीति एवं शासन में कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक राजनीतिक गठजोड़ के बारे में उन्हें जागरूक करने की पहल की थी। यह मंच सम्मेलन, गोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ, सेमिनार आदि आयोजित करके अगले 10 वर्षों के लिए भारत में समाजवादी आंदोलन के भावी नेतृत्व को तैयार करने का कार्य करने के उद्देश्य से सक्रिय हुआ था।
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इसका लक्ष्य अगले 10 वर्षों में विभिन्न सशक्त सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से भारतीय समाजवादी आंदोलन के आगामी शताब्दी समारोह का स्मरण करना था। 31 अक्टूबर को राजेंद्र भवन, नई दिल्ली में दो दिवसीय (31 अक्टूबर – 1 नवंबर) अधिवेशन के शुभारंभ के साथ ही ‘युवा सोशलिस्ट पहल’ की गतिविधियों की श्रृंखला आरंभ हुई थी।
भारतीय समाजवादी आंदोलन औपचारिक रूप से 1934 में संगठित हुआ था, जब आचार्य नरेंद्र देव, मीनू मसानी, जयप्रकाश नारायण आदि के नेतृत्व में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया गया था। इनके अलावा महात्मा गांधी, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, राम मनोहर लोहिया, किशन पटनायक, मधु लिमये, मधु दंडवते आदि ने भारत में भारतीय समाजवादी आंदोलन की विरासत को समृद्ध किया था।
युवा सोशलिस्ट अधिवेशन की शुरुआत सोशलिस्ट युवजन सभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अभिजीत वैद्य के रिकॉर्ड किए गए उद्घाटन भाषण से हुई थी, क्योंकि वे कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अधिवेशन में शामिल नहीं हो सके थे। प्रो. जी. सत्यनारायण, अरुण श्रीवास्तव, मंजू मोहन, अप्पा साहेब, शाहिद सलीम, एच.एस. सिद्धू, महेंद्र शर्मा, आदित्य कुमार, चरण सिंह राजपूत और देवेंद्र अवाना ने भी अपने विचारोत्तेजक भाषणों से युवाओं को जागरूक किया था।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डीयू के पूर्व संकाय सदस्य और प्रख्यात राजनीतिशास्त्री प्रो. अनिल मिश्रा ने की थी और संचालन युवा समाजवादी कार्यकर्ता एवं ज़ी टीवी के पत्रकार श्री राजेश कुमार ने किया था।
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उद्घाटन सत्र के समापन पर, डीयू के पूर्व संकाय सदस्य, बहु-विषयक लेखक और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रेम सिंह को भारतीय समाजवादी आंदोलन के आगामी शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में ‘युवा सोशलिस्ट पहल’ के तत्वावधान में दो दिवसीय सम्मेलन की योजना, आयोजन तथा अगले 10 वर्षों के लिए भारतीय समाजवादी आंदोलन का रोडमैप तैयार करने के लिए डॉ. सुनीलम (समाजवादी नेता और किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष) द्वारा सम्मानित किया गया था।

उस दिन के सत्र में आर्थिक नीति, स्वास्थ्य नीति और शिक्षा नीति पर समाजवादी दृष्टिकोण के तीन प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे और उन पर चर्चाएँ हुई थीं। आर्थिक नीति पर समाजवादी दृष्टिकोण वाले सत्र की अध्यक्षता प्रमुख अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने की थी और संचालन डीयू के संकाय सदस्य डॉ. हिरण्य हिमकर ने किया था। रोज़गार के अवसरों की कमी, गरीबी, कल्याणकारी नीतियों के लिए बजटीय आवंटन, जीएसटी सुधार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि भूमि का पुनर्वितरण, जाति-संवेदनशील शहरीकरण, ब्लैक अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार आदि सत्र में युवाओं द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख मुद्दे थे।
प्रो. अरुण कुमार ने आईएमएफ और विश्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण भारतीय राज्य की क्षीण हुई संप्रभुता को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था, ताकि आर्थिक नीति को और अधिक जन-अनुकूल बनाया जा सके। उन्होंने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के प्रति भी आगाह किया था। स्वास्थ्य नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य सत्र की अध्यक्षता समाजवादी नेता और किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम ने की थी, जबकि शिक्षा नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी और अधिवक्ता श्री राजशेखरन नायर ने की थी। इन सत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए एक समाजवादी रोडमैप प्रस्तुत किया गया था।
सरकारी नीतियों पर इन विचार-मंथन सत्रों के बाद, शाम को ‘लोहिया वेदी’ और ‘साहित्य वार्ता’ द्वारा कविता पर एक सत्र आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात हिंदी कवि गिरधर राठी ने की थी। मिथिलेश श्रीवास्तव, नरेन्द्र पुण्डरीक, राकेश रेणु और राजेन्द्र राजन ने भी अपनी उपस्थिति से काव्य संध्या को गौरवान्वित किया था। काव्य संध्या में अदनान काफ़िल दरवेश, अनुपम सिंह, सरोज कुमारी, महज़बीन, अर्चना लार्क, जावेद आलम, आलोक मिश्रा, हर्ष पाण्डेय और रणधीर गौतम जैसे विभिन्न युवा और उभरते कवियों ने भी अपनी कविताएँ प्रस्तुत की थीं।
दो दिवसीय युवा समाजवादी सम्मेलन का शुभारंभ अत्यंत उत्साहपूर्ण रहा था और इसमें देश भर से बड़ी संख्या में युवाओं, राजनेताओं, शिक्षाविदों, किसानों, मज़दूरों और आम लोगों ने भाग लिया था। पहले दिन राजेंद्र भवन का विशाल सभागार उत्साही और ध्यानमग्न जनसमूह से खचाखच भरा हुआ था।



