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NRIs: अनिवासी भारतीयों के लिए बने एक अलग ट्रिब्यूनल – सतीश जैन

सतीश जैन, जो 1970 में भारत से अमेरिका पढ़ने गए और वहीं कार्यरत हैं, ने इन समस्याओं पर अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि भारतीय प्रवासियों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार और भारत के लोग प्रवासियों से बहुत उम्मीदें लगाए हुए हैं, लेकिन अमेरिका जैसे देशों में भारत के प्रमुख नेताओं से संपर्क करना आज के समय में एक बड़ी चुनौती है।

NRIs: अनिवासी भारतीयों ने दुनिया के अनेक देशों में अपनी मेहनत और लगन के बल पर महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। 2024 की मई तक, दुनिया भर में अनुमानित 35.42 मिलियन (3.54 करोड़) भारतीय प्रवासी निवास कर रहे हैं, जिनमें लगभग 15.85 मिलियन एनआरआई (अनिवासी भारतीय) और लगभग 19.57 मिलियन भारतीय मूल के लोग शामिल हैं। इन प्रवासियों का भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण योगदान है, और वे देश-विदेश में अपनी छवि का सम्मान भी बनाए हुए हैं।

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प्रवासियों को झेलनी पड़ रही परेशानियां

वहीं, इन भारतीय प्रवासियों को अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। दोहरा कराधान, भारत में कठोर कानूनी प्रक्रियाएं, माता-पिता की देखभाल की चिंता, सांस्कृतिक पहचान का संकट, भारत के नियमों और कानूनों की जानकारी की कमी, संपत्ति विवाद जैसी अनेक समस्याएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। इन चुनौतियों का समाधान खोजना आवश्यक हो गया है।

सतीश जैन का अनुभव और सुझाव

सतीश जैन, जो 1970 में भारत से अमेरिका पढ़ने गए और वहीं कार्यरत हैं, ने इन समस्याओं पर अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि भारतीय प्रवासियों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार और भारत के लोग प्रवासियों से बहुत उम्मीदें लगाए हुए हैं, लेकिन अमेरिका जैसे देशों में भारत के प्रमुख नेताओं से संपर्क करना आज के समय में एक बड़ी चुनौती है।

NRIs: अनिवासी भारतीयों के लिए बने एक अलग ट्रिब्यूनल - सतीश जैन

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सरकार और प्रवासियों के बीच संवाद का अभाव

सतीश जैन ने कहा कि वे कई बार भारत से मंत्रियों और अधिकारियों से बात करने का प्रयास करते हैं, लेकिन कोई भी सहयोग नहीं मिल पाता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में उनके परिवार की संपत्ति पर अवैध कब्जा कर लिया गया है, और झूठी वसीयत के माध्यम से भी संपत्ति पर कब्जा किया जा रहा है। यह समस्या केवल उनके साथ नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में रहने वाले लाखों प्रवासियों के साथ हो रही है।

समाधान की दिशा में प्रस्ताव

सतीश जैन का मानना है कि इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब प्रवासियों के लिए एक अलग ट्रिब्यूनल बनाया जाए। इस ट्रिब्यूनल के अंतर्गत मामलों की सुनवाई और निर्णय एक तय सीमा के भीतर हो। साथ ही, उनका यह भी सुझाव है कि भारत सरकार को अपने कानूनों का सही से पालन करवाना चाहिए।

भारत का विकास और प्रवासियों का योगदान

वर्तमान में भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इस सफलता में अप्रवासी भारतीयों का बड़ा योगदान है। वे भारत में निवेश करना भी चाहते हैं, लेकिन वहां की नीतियों में सुधार की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार प्रगति कर रहा है, और उन्होंने भारत को दुनिया के साथ जोड़ने का काम किया है।

आगे का रास्ता और रणनीतियां

सतीश जैन कहते हैं कि यदि प्रवासी भारतीय भारत में निवेश करना शुरू करें और सरकार उनकी नीतियों को और स्पष्ट और अनुकूल बनाये, तो भारत आर्थिक दृष्टि से नंबर एक बन सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में सबसे अधिक अमीर भारतीय प्रवासी ही हैं।

एनआरआई वॉयस: एक मंच का निर्माण

उन्होंने एनआरआई वॉयस नामक संस्था की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य अमेरिका और अन्य देशों में रहने वाले प्रवासियों को एक मंच पर लाना है। वह स्वयं भारत में बड़े निवेश का सपना रखते हैं, लेकिन सरकार की नीतियों में स्पष्टता की कमी के कारण वे बाधित हैं।

सतीश जैन का मानना है कि सरकार को प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ मिलकर इन मुद्दों का हल निकालना चाहिए। थोड़े बहुत बदलाव और समर्पित प्रयासों से परिस्थितियों में सुधार संभव है। भारत की तरक्की और प्रवासियों की मेहनत का फल मिलकर ही पूरे देश के विकास में सहायक हो सकता है।

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