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अफगानिस्तान में 6 साल की बच्ची से शादी का मामला, तालिबान ने पति-पिता को लिया हिरासत में

नेशनल डेस्क | काबुल: अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने देशभर को हिला कर रख दिया है। यहां एक 45 साल के व्यक्ति ने 6 साल की मासूम बच्ची को पैसे देकर खरीदने के बाद उससे शादी (Afghanistan child marriage case) कर ली। यह मामला सामने आते ही न सिर्फ अफगान जनता में आक्रोश फैल गया, बल्कि तालिबान प्रशासन भी हरकत में आ गया।

🚨 तालिबान ने शादी पर लगाई रोक

Amu.tv की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान अधिकारियों ने बच्ची को पति के घर भेजने से रोक दिया है। एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि जब तक बच्ची कम से कम 9 साल की नहीं हो जाती, उसे ससुराल नहीं भेजा जाएगा। फिलहाल बच्ची को परिवार से अलग रखा गया है।

👨‍👩‍👧 पहले से हैं दो बीवियां, तीसरी बनी मासूम बच्ची

लोकल मीडिया हश्त-ए-सुबह डेली की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शादी करने वाला व्यक्ति पहले से दो पत्नियों का पति है। इस तीसरी शादी के लिए उसने बच्ची के परिवार को पैसे दिए, जिससे यह साफ होता है कि यह खरीद-फरोख्त के जरिए किया गया विवाह है।

फिलहाल बच्ची के पिता और पति दोनों को हिरासत में लिया गया है, लेकिन अब तक किसी पर भी औपचारिक रूप से केस दर्ज नहीं किया गया है।

📈 बाल विवाह के मामलों (Afghanistan child marriage case) में लगातार इज़ाफा

तालिबान के सत्ता में लौटने (2021) के बाद से अफगानिस्तान में बाल विवाह और जबरन शादियों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है।

  • संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी के अनुसार, 2023 में बाल विवाह के मामलों में 25% वृद्धि हुई।
  • बच्चों के जन्म की दर में 45% इज़ाफा भी दर्ज किया गया है।
  • यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में सबसे अधिक बाल वधुएं अफगानिस्तान में हैं।

⚠️ क्या कहता है कानून?

अफगानिस्तान में कानून के मुताबिक 16 वर्ष से कम उम्र की शादी गैरकानूनी मानी जाती है। हालांकि, तालिबान शासन में इस तरह के मामलों पर कठोर कार्यवाही कम ही होती है। बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

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यह घटना न सिर्फ अफगानिस्तान में बाल विवाह की भयावह स्थिति को उजागर करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मानवाधिकारों के हनन की गंभीर चुनौती भी रखती है। जब 6 साल की बच्ची से शादी होती है, तो यह सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि इंसानियत का भी घोर उल्लंघन है।

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