फील्ड मार्शल असीम मुनीर: पाकिस्तान की ‘हार’ को ‘जीत’ बनाने की साजिश?

पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल (Asim Munir Field Marshal) का पद देकर इतिहास रच दिया है, लेकिन यह सम्मान सैन्य उपलब्धि से ज्यादा राजनीतिक चाल लग रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय पहलगाम हमले की विफलता और भारत की जवाबी कार्रवाई से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
Asim Munir Field Marshal को क्यों दिया गया यह ‘इनाम’?
असीम मुनीर को ऐसे वक्त फील्ड मार्शल ((Asim Munir Field Marshal) बनाया गया है, जब पाकिस्तान की छवि अंतरराष्ट्रीय मंच पर कमजोर हुई है। पहलगाम अटैक में सेना की भूमिका संदिग्ध रही और भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी नेतृत्व पूरी तरह बैकफुट पर आ गया।
कहा जा रहा है कि शहबाज शरीफ ने मुनीर को यह दर्जा देकर दोहरा फायदा उठाने की कोशिश की — एक ओर भारत की कार्रवाई को दबाने का प्रयास, दूसरी ओर जनता के बीच सेना की जीत का झूठा नैरेटिव गढ़ना।
✔ पहलगाम हमले की नाकामी: पाकिस्तानी सेना की भूमिका पर सवाल
✔ शहबाज शरीफ की राजनीति: अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचने का प्रोपेगेंडा
✔ सैन्य-सरकार तनाव: मुनीर को पीएम मीटिंग्स में इग्नोर किया गया था
असली मकसद क्या है?
सूत्रों की मानें तो पीएम हाउस में हाल की बैठकों में असीम मुनीर को साइडलाइन किया जा रहा था। माना जा रहा था कि वे धीरे-धीरे पावर सेंटर से हट रहे हैं। लेकिन अचानक उन्हें देश का सबसे बड़ा सैन्य पद सौंप देना एक साफ संकेत है — ये ‘इनाम’ नहीं, बल्कि एक पॉलिटिकल कवच है।
शहबाज शरीफ को डर है कि अगर उन्होंने सेना का साथ नहीं दिया, तो न तो उनकी कुर्सी बचेगी और न ही आगामी चुनावों में वापसी का मौका मिलेगा।
- अंतरराष्ट्रीय छवि सुधार: भारत के सामने हार को “रणनीतिक जीत” बताना
- घरेलू राजनीति: आगामी चुनावों से पहले सेना का मनोबल बढ़ाना
- मुनीर को बचाना: पहलगाम ऑपरेशन की जिम्मेदारी से बचाव
पाकिस्तान की हार का सच
पाकिस्तानी मीडिया और सरकार यह दिखाने में जुटे हैं कि फील्ड मार्शल की पदवी एक बड़ी सैन्य सफलता का नतीजा है। लेकिन जानकारों की मानें तो यह सिर्फ एक कवर स्टोरी है — हार को छिपाने, जनता को भटकाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करने की।
🔴 भारत की जवाबी कार्रवाई: 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त, 100+ आतंकी ढेर
🔴 पाकिस्तानी ड्रोन फेल: S-400 ने हवा में मार गिराए सभी टारगेट
🔴 अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी: अमेरिकी मध्यस्थता में सीजफायर के लिए मजबूर हुआ पाक
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शहबाज शरीफ की ‘कुर्सी बचाओ’ रणनीति
- जनता को गुमराह करने के लिए झूठी विजय गाथा गढ़ी जा रही है
- “राष्ट्रीय गर्व” का नकली नैरेटिव बनाकर चुनावी फायदा उठाना
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