राजनाथ सिंह की एक मुलाकात ने बदला चीन का रुख! क्या अब सुलझेगा सीमा विवाद?

राजनाथ सिंह की रणनीति सफल! चीन बोला – ‘भारत संग सीमा विवाद (India-China border dispute) पर बातचीत को तैयार’
नई दिल्ली/बीजिंग: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद (India-China border dispute) को लेकर अब एक नई उम्मीद जगी है। चीन ने सोमवार को स्पष्ट संकेत दिए कि वह भारत के साथ बातचीत के जरिए इस जटिल मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में एससीओ सम्मेलन के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के समकक्ष डोंग जुन के बीच महत्वपूर्ण वार्ता हुई।
🛡️ राजनाथ सिंह की रणनीति लाई असर?
26 जून को किंगदाओ, चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने चीन के सामने कड़ा लेकिन संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर शांति बहाल करने, और 2020 के गतिरोध के बाद पैदा हुए अविश्वास को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। अब चीन की प्रतिक्रिया से साफ है कि भारत की इस रणनीति का असर पड़ा है।
🗣️ चीन की प्रतिक्रिया: ‘सीमा विवाद जटिल, लेकिन संवाद को तैयार’
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से कहा:
“भारत-चीन सीमा विवाद जटिल है, और इसे सुलझाने में समय लगेगा। लेकिन हम सीमा निर्धारण और शांति बनाए रखने के लिए भारत से संवाद के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि अब तक इस विवाद को सुलझाने के लिए 23 दौर की विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत हो चुकी है।
🧭 क्या तय हुई कोई समयसीमा?
जब माओ निंग से पूछा गया कि क्या विवाद सुलझाने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित की गई है, तो उन्होंने जवाब दिया:
“हम आशा करते हैं कि भारत भी सकारात्मक सहयोग करेगा और सीमा क्षेत्रों को शांत एवं स्थिर बनाए रखने के लिए संवाद जारी रहेगा।”
🛑 अब तक क्यों नहीं सुलझा विवाद (India-China border dispute)?
- जटिलता: सीमा रेखा ऐतिहासिक, भौगोलिक और रणनीतिक रूप से जटिल है।
- विश्वास की कमी: 2020 के गलवान संघर्ष के बाद रिश्तों में गहरा तनाव।
- अलग प्राथमिकताएं: दोनों देशों की रणनीतिक सोच और प्राथमिकताएं भिन्न हैं।
🧩 संवाद के लिए बने तंत्र
माओ निंग ने यह भी कहा कि दोनों देशों ने विभिन्न स्तरों पर संवाद के लिए तंत्र स्थापित किए हैं और यह एक सकारात्मक संकेत है।
उन्होंने कहा:
“हमें उम्मीद है कि भारत-चीन संवाद के जरिए संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र को शांतिपूर्ण बनाए रखेंगे।”
📅 पृष्ठभूमि: अजीत डोभाल की भूमिका भी अहम
दिसंबर 2024 में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 23वें दौर की वार्ता हुई थी, जिसमें पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी और गश्त पर सहमति बनी थी।
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🔚 निष्कर्ष: क्या अब बर्फ पिघलेगी?
राजनाथ सिंह की सक्रिय कूटनीति और सधे हुए संवाद से एक बार फिर उम्मीद जगी है कि भारत-चीन सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। हालांकि चीन का यह रुख स्वागत योग्य है, लेकिन विश्वास बहाली के लिए अब ठोस कदमों की जरूरत होगी।