चीन की नींद उड़ाने आई भारत-जापान की जोड़ी! अंबानी भी देंगे साथ, गेम बदलने की तैयारी

नई दिल्ली। चीन के दबदबे को खत्म करने के लिए अब भारत और जापान ने रणनीतिक साझेदारी (India-Japan battery partnership) कर ली है। भारत-जापान बैटरी साझेदारी के तहत टोक्यो की दिग्गज कंपनियां भारत में रेयर अर्थ मटीरियल्स और ईवी बैटरियों की सप्लाई चेन को मजबूत करने के मिशन पर हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और अमारा राजा बैटरीज भी शामिल हो गई हैं।
जापानी कंपनियां दिल्ली में, टारगेट – चीन का दबदबा खत्म करना
दिल्ली में इस समय जापान की 12 से ज्यादा बड़ी कंपनियों ने डेरा डाला हुआ है। इनमें मित्सुबिशी केमिकल्स, सुमिमोतो मेटल्स एंड माइनिंग, और पैनासोनिक जैसी कंपनियां शामिल हैं। ये सभी ‘Battery Association for Supply Chain’ (BASC) की सदस्य हैं और भारत में लॉन्ग-टर्म पार्टनरशिप के अवसर तलाश रही हैं।
🔋 भारत की EV इंडस्ट्री के लिए संकट और अवसर दोनों
चीन फिलहाल ग्लोबल रेयर अर्थ मटीरियल्स सप्लाई का 90% से ज्यादा हिस्सा कंट्रोल करता है। भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री इसी सप्लाई पर निर्भर है। लेकिन अब भारत और जापान मिलकर नई सप्लाई चेन खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे चीन पर निर्भरता घटे।
💼 अंबानी और अमारा राजा की एंट्री, बड़ा बिजनेस प्लान तैयार
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अमारा राजा जापानी कंपनियों के साथ लीथियम-आयन बैटरी, ग्रेफाइट, और लिथियम जैसे क्रिटिकल मिनरल्स की सप्लाई चेन तैयार करने पर काम कर रही हैं। रिलायंस इस साझेदारी को भारत की मार्केट पावर और जापानी टेक्नोलॉजी के साथ मिलाकर एक बड़ा गेम प्लान बना रही है।
🏛️ सरकार भी एक्टिव मोड में
भारत सरकार ने हाल ही में क्रिटिकल मिनरल्स की सुरक्षित सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए नीति स्तर पर मजबूत कदम उठाए हैं। वित्त मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय दोनों इस रणनीति पर काम कर रहे हैं जिससे भारत खुद भी रेयर अर्थ प्रोडक्शन में उतर सके।
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⚠️ लेकिन राह आसान नहीं…
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का मुकाबला करना इतना आसान नहीं होगा। चीन के पास माइनिंग से लेकर रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग तक की पूरी वैल्यू चेन है। भारत-जापान के साझा प्रोडक्शन की लागत 20-30% ज्यादा हो सकती है। साथ ही जापान की एक्सपर्टीज मुख्य रूप से हाइब्रिड टेक्नोलॉजी में है, जबकि भारत को फुल-स्केल EV बैटरी प्रोडक्शन की जरूरत है।
📈 निष्कर्ष: भारत-जापान की साझेदारी (India-Japan battery partnership) भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है
हालांकि चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन अगर भारत की कंपनियां जापान की टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन एक्सपर्टीज के साथ काम करें, तो भारत चीन के एकाधिकार को तोड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है। आने वाले सालों में ये साझेदारी भारत की EV और बैटरी इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।